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दुर्घटना के लिए जिम्मेदार होते हैं ये ग्रह, जानें कैसे इनके प्रकोप से बचा जा सकता है… क्या हैं उपाय?

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अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया प्लेन क्रैश (Air India Plane Crash) हादसे ने देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। इस दुखद घटना में पलक झपकते ही 265 लोगों की जान चली गई, जिसने लोगों के दिलों में गहरा सदमा छोड़ दिया है। इस हादसे ने हमें याद दिलाया कि जीवन अनिश्चित है और काल किसी का भी चयन नहीं करता। वहीं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसे हादसों के पीछे ग्रहों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का हादसों में योगदान

ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि किसी भी दुर्घटना या संकट में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति अहम भूमिका निभाती है। इसके बाद राहु, केतु, शनि और मंगल ग्रह भी दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। ग्रहों की यह स्थिति किसी भी समय असामान्य घटनाओं को जन्म दे सकती है।

वर्तमान में ग्रहों की स्थिति

इस समय सिंह राशि में मंगल और केतु का योग बना हुआ है। मंगल ग्रह ने 7 जून 2025 को सिंह राशि में प्रवेश किया जबकि केतु 18 मई से सिंह राशि में हैं। इन दोनों ग्रहों की युति 7 जून से 28 जून 2025 तक प्रभावी रहेगी। इसके बाद मंगल ग्रह कन्या राशि में गोचर करेंगे।

मंगल और केतु दोनों ही उग्र ग्रह माने जाते हैं और उनकी युति को शुभ नहीं माना जाता। सिंह राशि अग्नि तत्व की राशि है, जिसमें इन ग्रहों की ऊर्जा अधिक तीव्र हो जाती है। इस स्थिति में हादसों और दुर्घटनाओं के बढ़ने की संभावना बनी रहती है, जिससे संसार में तनावपूर्ण माहौल उत्पन्न हो सकता है।

12 जून 2025 का षडाष्टक योग

12 जून, गुरुवार के दिन चंद्रमा धनु राशि में मूल नक्षत्र से संचार कर रहा था, साथ ही षडाष्टक योग भी बन रहा था। सिंह राशि में मंगल और शनि के बीच यह योग बनना अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, षडाष्टक योग से तनाव, नुकसान और दुर्घटनाओं की संभावना अधिक होती है।

ग्रह जो दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार

  • शनि ग्रह: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। शनि वाहन दुर्घटनाओं में भी प्रभावी होता है।

  • राहु ग्रह: राहु भी कई बार दुर्घटनाओं में भूमिका निभाता है।

  • मंगल ग्रह: मंगल का प्रभाव उग्र और तीव्र होता है, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

  • केतु ग्रह: केतु अचानक होने वाली गंभीर दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में केतु कमजोर स्थिति में हो, तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।

ग्रहों के प्रभाव से बचाव के उपाय

ज्योतिष में मंगल और केतु की युति के दौरान हनुमान जी की आराधना को अत्यंत लाभकारी माना गया है। हनुमान जी संकट मोचन हैं और उनकी कृपा से ग्रहों के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

  • मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

  • शनिवार के दिन शनि देव की आराधना करें। शनि मंदिर जाकर शनि देव को तेल अर्पित करने से भी ग्रह दोषों से राहत मिलती है।

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