हिंदू धर्म में विवाह को 16 संस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। शादी के दौरान कई परंपराएं निभाई जाती हैं। इन परंपराओं के पीछे कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक या मनोवैज्ञानिक कारण छिपा होता है। ऐसी ही एक परंपरा है कि दूल्हा दुल्हन के घर के दरवाजे पर लटके तोरण को अपनी कटार या तलवार से छूता है, जिसे तोरण मारना कहा जाता है। हालांकि, इस परंपरा के पीछे कोई खास कारण नहीं है, लेकिन इससे जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है, जो इस प्रकार है-
तोरण राक्षस कौन था?
एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक समय की बात है, तोरण नाम का एक राक्षस था, जो विवाह के समय तोते का रूप धारण करके दुल्हन के घर के बाहर बैठा रहता था। जब दूल्हा वहां आता है तो तोरण उसके शरीर में प्रवेश कर स्वयं दुल्हन से विवाह कर लेता है और फिर उसे तरह-तरह से परेशान करता है।
तोरण राक्षस को किसने मारा?
एक बहादुर राजकुमार को यह बात पता चली। जब वह विवाह करके दुल्हन के घर पहुंचा तो उसने वहां तोते के रूप में बैठे तोरण राक्षस को अपनी तलवार के एक ही वार से मार डाला। जब लोगों को पूरी बात पता चली तो वे सभी बहुत खुश हुए, जिसके बाद राजकुमार का विवाह हो गया।
तोरण मारने की परंपरा कैसे शुरू हुई?
इसी कहानी को ध्यान में रखते हुए आज भी दुल्हन के घर के दरवाजे पर तोरण लटकाया जाता है, जिसे दूल्हा अपनी तलवार या खंजर से छूकर तोरण मारने की रस्म निभाता है। बाजार में तोरण बने हुए हैं जिन पर तोते का प्रतीक बना हुआ है जिसे तोरण राक्षस का प्रतीक माना जाता है।
तोरण लेते समय क्या ध्यान रखें?
आजकल बाजार में मिलने वाले कुछ तोरणों पर धार्मिक प्रतीक अंकित होते हैं। ऐसे तोरण खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि धार्मिक प्रतीकों पर तलवार से प्रहार करना उनका अपमान है। परंपरा के अनुसार तोरण पर तोते का प्रतीक होना चाहिए।