बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी ने नए साल में अपने ग्राहकों को तोहफा दिया है। एचडीएफसी ने कुछ अवधि के लोन पर एमसीएलआर में 0.05 फीसदी की कटौती की है। यह एमसीएलआर दर ओवरनाइट, छह महीने, एक साल और तीन साल की अवधि पर घटाई गई है। बैंक ने इन सभी अवधि की दरों पर 0.05 फीसदी की कटौती की है। बाकी अवधि पर एमसीएलआर पहले की तरह ही है। एचडीएफसी बैंक की नई एमसीएलआर दर 7 जनवरी 2025 से लागू हो गई है। यहां जानें एमसीएलआर में बढ़ोतरी या कमी का आप पर क्या असर पड़ता है?
एचडीएफसी बैंक की नई एमसीएलआर दरें – 7 जनवरी 2025 से प्रभावी
एचडीएफसी बैंक की ओवरनाइट एमसीएलआर को घटाकर 9.15 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह 9.20 फीसदी थी, जिसमें 0.05 फीसदी की कटौती की गई है।
एक महीने की एमसीएलआर 9.20 फीसदी है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
तीन महीने की एमसीएलआर 9.30 फीसदी है। इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ।
छह महीने की एमसीएलआर 9.45 फीसदी थी, जिसे घटाकर 9.40 फीसदी कर दिया गया है। इसमें बैंक ने 0.05 फीसदी की कटौती की है।
एक साल की एमसीएलआर 9.45 फीसदी थी, जिसे घटाकर 9.40 फीसदी कर दिया गया है। इसमें बैंक ने 0.05 फीसदी की कटौती की है।
2 साल से ज्यादा की अवधि के लिए एमसीएलआर 9.45 फीसदी है। इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ।
3 साल से ज्यादा की अवधि के लिए एमसीएलआर 9.50 फीसदी थी, जिसे घटाकर 9.45 फीसदी कर दिया गया है। इसमें 0.05 फीसदी का बदलाव हुआ है।
एमसीएलआर बढ़ने या घटने पर क्या होता है?
बैंक द्वारा एमसीएलआर में संशोधन का असर होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन समेत सभी तरह के फ्लोटिंग लोन की ईएमआई पर पड़ता है। MCLR बढ़ने पर लोन का ब्याज बढ़ता है और घटने पर घटता है। आपके होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन EMI की ब्याज दर इसी के जरिए तय होती है। उदाहरण के लिए अगर आप कार या घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपको पहले से सस्ता लोन मिल जाएगा. इसके अलावा जिन लोगों पर पहले से लोन है, उनकी मासिक लोन EMI थोड़ी कम हो सकती है।
कैसे तय होता है MCLR?
MCLR तय करते समय कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है। इसमें डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्व रेशियो को बनाए रखने की लागत शामिल है. रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बदलाव से MCLR रेट पर असर पड़ता है। MCLR में बदलाव से आपके लोन की ब्याज दर पर असर पड़ता है, जिससे लोन लेने वालों की EMI बढ़ जाती है। MCLR में बढ़ोतरी और कमी से आपके लोन की EMI में कमी या बढ़ोतरी पर असर पड़ता है।