बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के ₹100 करोड़ के मानहानि के मुकदमे को खारिज कर दिया। नवाजुद्दीन ने पिछले साल अपने भाई शम्सुद्दीन और उनकी पत्नी के खिलाफ यह मुकदमा दायर किया था। नवाजुद्दीन और उनके वकील सुनवाई के दौरान मौजूद नहीं थे, जिसके कारण मुकदमा खारिज कर दिया गया। सिद्दीकी का प्रतिनिधित्व कर रहे अली काशिफ खान देशमुख, स्निग्धा खंडेलवाल और फरीद शेख ने कहा कि नवाजुद्दीन द्वारा दायर किया गया पूरा मामला निराधार है। यह मुकदमा उनके मुवक्किल पर वित्तीय विवादों के चलते दबाव बनाने के लिए दायर किया गया था।
नवाजुद्दीन का आरोप है कि 2008 में उन्होंने अपने भाई शम्सुद्दीन को अपना मैनेजर नियुक्त किया था क्योंकि उस समय वह बेरोजगार थे। नवाजुद्दीन का दावा है कि उन्होंने शम्सुद्दीन को ऑडिटिंग, आयकर रिटर्न दाखिल करने और जीएसटी व अन्य करों का भुगतान करने जैसे काम सौंपे थे। इस दौरान, नवाज का पूरा ध्यान अपने काम पर था और उन्होंने अपने भाई पर आँख मूंदकर भरोसा किया, उन्हें अपने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम कार्ड, चेकबुक, बैंक पासवर्ड, ईमेल पते आदि सब कुछ सौंप दिया।
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नवाज़ुद्दीन का आरोप है कि शम्सुद्दीन ने उन्हें धोखा देना और धोखाधड़ी करना शुरू कर दिया। उनका दावा है कि शम्सुद्दीन ने संयुक्त रूप से कई संपत्तियाँ खरीदीं, लेकिन अभिनेता को बताया कि ये संपत्तियाँ पूरी तरह से उनके नाम पर खरीदी जा रही हैं। इन संपत्तियों में यारी रोड पर एक फ्लैट, शाहपुर में एक फार्महाउस, दुबई में एक संपत्ति और रेंज रोवर, बीएमडब्ल्यू और डुकाटी सहित 14 गाड़ियाँ शामिल हैं। नवाज़ का आरोप है कि उनके भाई और पत्नी ने उनके बारे में झूठे और अपमानजनक बयान फैलाए, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुँचा और उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से काफी नुकसान पहुँचा।