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नासा ने किया गजब का खुलासा जिन एलियंस को खोजा इधर उधर वो पाए धरती पर,आखिर क्या है मामला

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विज्ञान न्यूज़ डेस्क,बगल में छोरा और पूरे गांव में ढिंढोरा ऐसी कुछ कहावत एलियंस के मामले में फिट होती नजर आ रही है. दरअसल, जिन एलियंस को इंसान दशकों से खोज रहा है, वो कहां रहते हैं, कैसे और कब धरती पर आते-जाते हैं, इस सवालों का जवाब नासा की एक खोज में सामने आया है. इसकी मानें तो एलियंस धरती पर ही हैं और वो कोई और नहीं, बल्कि हम इंसाल ही हैं.

इंसान ही है एलियन

नासा ने एक ऐसे एस्टेरॉयड से सैंपल कलेक्ट किया है जो बेहद हैरान करने वाला है. यह सैंपल ऐसा है जिसमें डीएनए और आरएनए के 5 न्यूक्लियोबेसेस और प्रोटीन में पाए जाने वाले 20 अमीनो एसिड में से 14 मौजूद है. इससे नया सवाल पैदा हो गया है कि क्‍या पृथ्‍वी पर जीवन एक एस्‍टेरॉयड से आया है. यानी कि इंसान ही वो एलियन है, जिसके जीवन का मूल पृथ्‍वी नहीं, बल्कि इसके बाहर से आया है.एस्टेरॉयड को हिंदी में क्षुद्रग्रह कहते हैं. ये चट्टानी पिंड होते हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं. ये ग्रहों से छोटे होते हैं और इनमें वायुमंडल नहीं होता. क्षुद्रग्रहों का आकार कंकड़ से लेकर 600 मील (1,000 किलोमीटर) तक का हो सकता है. गाहे-बगाहे ये एस्टेरॉयड धरती पर गिरते रहते हैं.

एस्टेरॉयड से मिले जीवन के तत्‍व

24 सितंबर 2023 को बेन्नू उल्कापिंड से लौटे नासा के ओसाइरिस-रेक्स यान के सैंपल की रिसर्च से पता चला कि उसमें जीवन के तत्व मौजूद है. इतना ही नहीं एस्‍टेरॉयड में काफी मात्रा में कार्बन और पानी मौजूद है. इसमें DNA और RNA के पांच न्यूक्लियोबेसेस और प्रोटीन में पाए जाने वाले 20 अमीनो एसिड में से 14 मौजूद है. इससे तो यही संकेत मिलता है कि धरती पर जीवन धरती के बाहर से आया है.

1650 फीट चौड़े एस्‍टेरॉयड से आया था सैंपल

NASA के सैंपल रिटर्न मिशन में पता चला कि जो मिट्टी और धूल का सैंपल लेकर ओसाइरिस-रेक्स (OSIRIS-REx) यान आया था, वह दुनिया के बहुत काम का है. नासा के इस यान ने 1650 फीट चौड़े एस्टेरॉयड का सैंपल लेकर धरती पर भेजा. जांच करने के बाद नासा ने कहा कि इस सैंपल की पहली रिपोर्ट जांच सामने आ चुकी है.नेचर एस्‍ट्रोनॉमी में पब्लिश हुई इस रिसर्च में नासा के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट डेनियल जेल्विन ने कहा कि हमें जो परिणाम मिले हैं वह बेहद हैरान करने वाले हैं. यह सैंपल जिंदगी को खड़ा करने वाले बेसिक तत्वों को संजोए हुए हैं. इसका मतलब है कि पूरे उल्कापिंड पर न जाने जीवन का कितना बड़ा भंडार मौजूद होगा.

तो क्‍या धरती को खत्‍म भी करेगा ये उल्‍कापिंड?

इस उल्‍कापिंड को लेकर एक और बेहद अहम बात नासा ने बताई है कि यही उल्‍कापिंड 159 साल बाद धरती से टकराएगा. बेन्नू उल्कापिंड 24 सितंबर 2182 में धरती से टकरा सकता है. इसकी टक्कर से 22 परमाणु बमों के विस्फोट जितनी तबाही मचेगी. जाहिर है ये धरती पर प्रलय ला देगा, इससे जीवन खत्‍म हो सकता है.

दिशा बदलने की थी योजना

नासा ने यह सैंपल इसलिए मंगाया था कि ताकि यह पता चल सके कि वो उल्कापिंड कितना मजबूत है. ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके कि उसे मिसाइल से अंतरिक्ष में उड़ाया जा सकता है या उसकी दिशा बदली जा सकती है. लेकिन इस खोज ने तो अलग ही चौंकाने वाले नतीजे दिए.बता दें कि ओसाइरिस-रेक्स यानी OSIRIS-REx का पूरा नाम है ओरिजिंस, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन एंड सिक्योरिटी रिगोलिथ एक्सप्लोरर. यह अमेरिका का पहला मिशन है, जिसे उल्कापिंड का सैंपल लाने के लिए भेजा गया था. इसने तीन साल पहले Bennu से सैंपल जमा किया था. तब से ये धरती की तरफ लौट रहा था. 45 किलोग्राम के कैप्सूल में करीब 250 ग्राम सैंपल था.

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