Home लाइफ स्टाइल निर्जला एकादशी के दिन जाने अनजाने में न करें ये 7 गलतियां,...

निर्जला एकादशी के दिन जाने अनजाने में न करें ये 7 गलतियां, व्रत के बाद भी नहीं मिलेंगे शुभ फल

9
0

हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का पर्व बड़ी श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता है। इस व्रत को ‘भीमसेनी एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसे महाभारत काल में पांडवों में सबसे बलशाली भीमसेन ने रखा था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह एकादशी सभी 24 एकादशियों के व्रत के बराबर फल देती है, इसलिए इसका विशेष महत्व है। इस बार निर्जला एकादशी 6 जून 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी और इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे व्रत और पूजन का फल कई गुना बढ़ जाएगा।

निर्जला एकादशी 2025: बन रहे हैं दुर्लभ संयोग

इस बार निर्जला एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है। साथ ही, इस दिन बुध ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे, जो एक विशेष ज्योतिषीय घटना है। इतना ही नहीं, व्रत पारण के दिन यानी द्वादशी को द्विपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह संयोग व्रती को धन, सुख और सौभाग्य का वरदान दिलाने वाला है। जो भी भक्त इस दिन विधिवत व्रत करता है, उस पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।

व्रत का महत्व और फल

निर्जला एकादशी व्रत को सबसे कठिन व्रत माना गया है क्योंकि इसमें जल और अन्न दोनों का त्याग किया जाता है। व्रती को पूरे 24 घंटे निराहार और निर्जल रहकर उपवास करना होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन बिना जल के उपवास रखने से पूरे साल की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।

इन राशियों को मिलेगा विशेष लाभ

इस बार जो शुभ योग बन रहे हैं, उनका सकारात्मक प्रभाव कुछ राशियों पर विशेष रूप से देखने को मिलेगा:

  • मेष राशि वालों के लिए यह एकादशी खुशियों और वाहन सुख का संकेत लेकर आएगी।

  • मिथुन राशि के जातकों पर माता लक्ष्मी की कृपा बरसेगी। पद-प्रतिष्ठा और आर्थिक उन्नति के योग बनेंगे।

  • सिंह राशि के लोगों को नौकरी और करियर में नए अवसर मिलेंगे। आपकी मेहनत की सराहना होगी।

देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के सरल उपाय

ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के अनुसार, यदि आप इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो कुछ खास उपाय ज़रूर करें:

  • लक्ष्मी जी को कमल और गुलाब के फूल, इत्र, फल, खीर, बर्फी और सुगंधित धूप अर्पित करें।

  • सूर्योदय के समय ‘श्री सूक्त’ और ‘लक्ष्मी सूक्त’ का पाठ करें।

  • सात पीली कौड़ियों को हल्दी की सात गांठों के साथ लपेटकर पूजा करें, इससे धन में वृद्धि होती है।

  • घर में कामधेनु गाय की मूर्ति रखें, इससे पारिवारिक सुख बना रहता है।

  • तुलसी के पौधे की 11 बार परिक्रमा करें और कच्चा दूध चढ़ाएं।

निष्कर्ष

निर्जला एकादशी केवल उपवास का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मसंयम, भक्ति और पुण्य का महासंगम है। 2025 में बन रहे शुभ योग इसे और भी अधिक फलदायी बना रहे हैं। यदि आप इस व्रत को श्रद्धा और विधिपूर्वक करते हैं, तो निश्चित ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा आपके जीवन को सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति से भर देगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here