1986 में टेलीविज़न पर प्रसारित रामानंद सागर की ‘रामायण’ ने भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। इस धार्मिक धारावाहिक ने कई कलाकारों को रातों-रात प्रसिद्धि दिलाई। जहां अरुण गोविल ‘भगवान श्रीराम’, दीपिका चिखलिया ‘माता सीता’ और दारा सिंह ‘हनुमान’ के रूप में घर-घर में पहचाने जाने लगे, वहीं रावण की पत्नी मंदोदरी के किरदार को भी दर्शकों ने खूब सराहा। लेकिन इस प्रभावशाली भूमिका के पीछे जिस अभिनेत्री का नाम है, वह वर्षों से परदे से ओझल रही हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं अभिनेत्री अपराजिता भूषण की।
मंदोदरी का किरदार निभाकर जीता दर्शकों का दिल
रामायण में मंदोदरी का किरदार छोटा होते हुए भी भावनात्मक रूप से बेहद मजबूत और गहराई लिए हुए था। अपराजिता भूषण ने इस किरदार को इतनी सहजता और गंभीरता के साथ निभाया कि दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए अपनी जगह बना ली। उस दौर में जब यह धारावाहिक प्रसारित होता था, तो लोग अपने काम रोककर, श्रद्धा के साथ इसे देखते थे। अपराजिता के अभिनय में संवेदना, पीड़ा और नैतिक दृढ़ता साफ झलकती थी, जो मंदोदरी के किरदार को विश्वसनीय बनाता था।
निजी जीवन से प्रेरित होकर किया अभिनय में प्रवेश
अपराजिता भूषण का अभिनय की दुनिया में आना एक साधारण अभिनेत्री की तरह नहीं था। उन्होंने ग्लैमर या प्रसिद्धि के लिए नहीं, बल्कि जीवन की एक त्रासदी से उबरने के लिए अभिनय का सहारा लिया। उनके पति की असमय मृत्यु के बाद, वह दो बच्चों की जिम्मेदारी के साथ अकेली रह गई थीं। इस कठिन दौर में उन्हें संबल मिला रामानंद सागर से, जिन्होंने न सिर्फ उन्हें सांत्वना दी, बल्कि अपने धारावाहिक ‘रामायण’ में काम करने का प्रस्ताव भी दिया।
पति की मौत के सदमे से उबरने के लिए उन्होंने अभिनय का रास्ता चुना और मंदोदरी बनकर दर्शकों के दिलों में जगह बना ली। अभिनय उनके लिए एक थेरेपी जैसा साबित हुआ और उन्होंने उस किरदार में अपने जीवन के दर्द को उकेरकर एक यादगार प्रदर्शन दिया।
एक्टिंग से विदाई और नई शुरुआत
रामायण में सफलता पाने के बाद भी अपराजिता भूषण ने लंबा फिल्मी करियर नहीं चुना। कुछ सालों तक एक्टिंग के क्षेत्र में काम करने के बाद, उन्होंने 1997 में फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी पहचान एक नई भूमिका में बनाई।
अब अपराजिता भूषण एक राइटर और मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में सक्रिय हैं। वह कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के लिए कॉलम लिखती हैं, जहां वह अपने जीवन के अनुभव, सामाजिक मुद्दे और प्रेरणादायक विचार साझा करती हैं। हालांकि वह सोशल मीडिया पर खास सक्रिय नहीं हैं, इसीलिए उनकी ज्यादा तस्वीरें या अपडेट ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं।
फिल्मी परिवार से ताल्लुक
अपराजिता भूषण अभिनय की दुनिया में नई नहीं थीं। वह खुद एक नामी फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता प्रसिद्ध अभिनेता भारत भूषण थे, जिन्होंने ‘बैजू बावरा’, ‘मीराबाई’, ‘तुलसीदास’ जैसी पौराणिक और भक्ति प्रधान फिल्मों में अमूल्य योगदान दिया। अपराजिता की बहन अनुराधा भूषण भी फिल्म जगत से जुड़ी रही हैं। ‘रामायण’ जैसे ऐतिहासिक धारावाहिक में मंदोदरी का किरदार निभाने वाली अपराजिता भूषण भले ही आज टीवी या फिल्मों की चकाचौंध से दूर हैं, लेकिन उनका सफर प्रेरणादायक है। एक निजी त्रासदी से उबरकर जिस तरह उन्होंने अभिनय को माध्यम बनाया, और फिर लेखन और मोटिवेशनल स्पीकिंग के जरिये समाज में सकारात्मक योगदान दिया, वह आज के समय में एक मिसाल है।
अपराजिता उन गिने-चुने कलाकारों में से हैं, जिनकी छवि दर्शकों के दिलों में उनके किरदार की गरिमा के साथ आज भी जीवंत है। ‘मंदोदरी’ के रूप में उनका योगदान रामायण की पौराणिक छवि को और भी दृढ़ करता है — एक ऐसी स्त्री की, जो शक्ति, सहनशीलता और विवेक की प्रतिमूर्ति है।