क्रिकेट न्यूज डेस्क।। क्रिकेट के मैदान पर कुछ कहानियां दिल छू लेने वाली होती हैं, जो सिर्फ खेल की प्रतिभा नहीं बल्कि इंसान के जज़्बे और संघर्ष को भी बयां करती हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है श्रीलंकाई बल्लेबाज पाथुम निसंका की, जिन्होंने गॉल में बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच की पहली पारी में शानदार शतक लगाकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया।
पाथुम निसंका की कहानी सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है। उनके पिता मैदान में सफाई का काम करते थे, जबकि उनकी मां मंदिर के बाहर फूल बेचकर परिवार का खर्च चलाती थीं। इन कठिन परिस्थितियों में भी निसंका ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत से अपने क्रिकेटिंग सपनों को सच किया।
ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से जीता दिल
गॉल के इस टेस्ट मैच में निसंका ने महज 136 गेंदों पर अपना शतक पूरा किया, जिसमें उन्होंने 13 चौके और एक छक्का लगाया। उनकी इस आक्रामक और संगठित पारी ने श्रीलंका को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। यह निसंका का टेस्ट क्रिकेट में तीसरा शतक है, लेकिन घरेलू मैदान पर यह उनका पहला शतक माना जा रहा है, जो उनके करियर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
पाथुम निसंका की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए मिसाल है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में लगे हैं। मैदान की सफाई करने वाले पिता और मंदिर के बाहर फूल बेचने वाली मां के बेटे ने साबित किया कि मेहनत और जुनून से हर मंजिल हासिल की जा सकती है।
श्रीलंका के लिए उम्मीद की किरण
निसंका का यह शतक न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि श्रीलंका टीम के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। टीम को इस टेस्ट मैच में मजबूत शुरुआत मिली है और निसंका की बल्लेबाजी ने पूरे टीम को आत्मविश्वास दिया है। भविष्य में भी उनकी यह परफॉर्मेंस टीम के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।