प्यार और दोस्ती के बिना ज़िंदगी अधूरी है। एक तरफ़ दोस्त सुख-दुख में हमारा साथ देते हैं। वहीं दूसरी तरफ़ प्यार हमें भावनात्मक रिश्तों और रिश्तों में विश्वास दिलाता है। लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि आपका प्यार यानी पार्टनर और दोस्त आपस में टकराने लगते हैं और हमें समझ नहीं आता कि दोनों के बीच समय का प्रबंधन कैसे करें। प्यार और दोस्ती के बीच संतुलन बिगड़ने की स्थिति अक्सर तब आती है जब हम किसी नए रिश्ते में कदम रखते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उस समय हम अपना पूरा समय पार्टनर को देते हैं, तो दोस्त को लगता है कि उसकी अहमियत कम हो गई है। वहीं दूसरी तरफ़, अगर आप अपने दोस्त के साथ ज़्यादा समय बिताते हैं, तो आपके पार्टनर को लग सकता है कि आपकी ज़िंदगी में उसकी कोई अहमियत नहीं है। ऐसे में आप दोनों रिश्तों के बीच फंस सकते हैं और आपके जीवन में तनाव पैदा हो सकता है।
अगर आप भी प्यार और दोस्ती के बीच फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं और दोनों रिश्तों के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं, तो यहाँ हम आपके लिए कुछ सुझाव लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप बिना किसी को ठेस पहुँचाए दोनों रिश्तों को मज़बूत बना सकते हैं।
खुलकर बात करें
अगर आप किसी रिश्ते में आने के बाद पार्टनर और दोस्त के बीच उलझे हुए हैं, तो दोनों से खुलकर बात करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। जी हाँ, ऐसे में दोनों से अलग-अलग बात करें या साथ बैठकर समझाएँ कि वे दोनों आपकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा हैं और आप दोनों के साथ समय बिताना चाहते हैं। अगर आपका पार्टनर समझदार और सच्चा दोस्त है, तो वह आपकी बात ज़रूर समझ सकता है।
समय का प्रबंधन करें
कई बार, समय का प्रबंधन न करने की वजह से दोस्तों और पार्टनर के बीच भी रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। ऐसे में आप 1:1 का फ़ॉर्मूला अपना सकते हैं। इस फ़ॉर्मूले में आप एक वीकेंड दोस्त के साथ बिताएँ और एक वीकेंड पार्टनर के साथ घूमने जाएँ। ऐसा करने से आप दोनों को बराबर समय दे पाएँगे और किसी तरह की उलझन का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अपनी सीमाएँ तय करें
ज़रूरी नहीं कि पार्टनर और दोस्त के बीच हमेशा अच्छी बनती हो। इसलिए कुछ ज़रूरी सीमाएँ तय करें और अपनी निजी ज़िंदगी को भी प्राथमिकता दें। इससे आप दोनों के रिश्तों में दूरी बनेगी और किसी को घुटन महसूस नहीं होगी।
ईमानदार रहें
जब आप किसी दोस्त के साथ समय बिताएँ, तो अपने साथी को बताएँ। इसी तरह, जब आप अपने साथी के साथ बाहर जाएँ, तो अपने दोस्त को बताएँ। ऐसा करने से आप दोनों के प्रति ईमानदार रहेंगे और वह भी आपकी जगह समझने की कोशिश कर सकता है।
समूह गतिविधि
आप चाहें तो समूह गतिविधियों की भी योजना बना सकते हैं। जहाँ आप अपने दोस्त और साथी को एक साथ आमंत्रित कर सकते हैं। इससे आपको दोस्त और साथी, दोनों के लिए समय मिलेगा।
समझौता
ज़रूरी नहीं कि आप हमेशा दोनों रिश्तों के बीच संतुलन बनाए रख पाएँ और चीज़ें आपके मन के मुताबिक ही होंगी। इसलिए थोड़ा समझौता करें और हमेशा चीज़ों को ठंडा रखने की कोशिश न करें। साथ ही, दोषी महसूस न करें और खुद से कहें कि संतुलन बनाना आपकी ज़िम्मेदारी है, लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर सकते, तो इसे खुद पर दबाव न बनने दें।