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फिर लाल हुआ शेयर बाजार, ₹1300000 करोड़ हो चुके स्वाहा, जानिए आखिर कौन है भारत के शेयर बाजार में मचे तांडव के पीछे?

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शेयर बाजार में सुनामी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार चौथे कारोबारी दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई और सेंसेक्स खुलते ही धड़ाम हो गया। मंगलवार को बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स खुलते ही धड़ाम हो गया। वहीं, निफ्टी 50 में भी गिरावट देखी जा रही है। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स करीब 246 अंक लुढ़क गया। पिछले तीन दिनों पर नजर डालें तो निवेशकों को 13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।

निवेशकों को 13 लाख करोड़ रुपये का नुकसान

भारतीय शेयर बाजार में अभी भी कमजोरी का रुख बना हुआ है। पिछले चार कारोबारी दिनों से बाजार की स्थिति ऐसी ही बनी हुई है और बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक ऐसा ही रहने वाला है। बाजार में जारी बिकवाली के दौरान निवेशकों को 13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। इस गिरावट के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं।

भारतीय शेयर बाजार में यह गिरावट क्यों?

भारतीय शेयर बाजार में इस गिरावट के पीछे कई कारक हैं। एफआईआई की बिकवाली, वैश्विक अनिश्चितता और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता, कमजोर तिमाही नतीजे और ऊंचे बाजार मूल्यांकन बाजार पर दबाव बनाए हुए हैं। अगर विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की बात करें, तो उनकी ओर से भारी बिकवाली का दबाव है। पिछले पूरे हफ्ते में एफआईआई की बिकवाली ₹13552 करोड़ तक पहुँच गई। इस बिकवाली ने बाजार का मूड बिगाड़ दिया है और शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है।

वैश्विक अशांति और रूस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बीच कच्चे तेल की कीमतों में तेजी जारी है। ब्रेंट क्रूड 0.29% बढ़कर 68.64 डॉलर प्रति बैरल हो गया। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का मतलब है मुद्रास्फीति में वृद्धि। जिसका शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। कंपनियों ने तिमाही नतीजे बाजार के अनुरूप नहीं दिखाए, जिससे बाजार पर दबाव बना रहा। खासकर आईटी कंपनियों ने बाजार का मूड सबसे ज्यादा बिगाड़ा है। टीसीएस, विप्रो, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा जैसी कंपनियों में बिकवाली से बाजार का सेंटीमेंट खराब हुआ है। वहीं, देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस ने 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की बात कही है, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।

अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, जिससे निवेशकों में काफी असमंजस की स्थिति है। उनका भरोसा कम होता जा रहा है। खासकर उन सेक्टर्स को लेकर असमंजस की स्थिति है, जिनका कारोबार अमेरिका के साथ है। 1 अगस्त की समयसीमा नजदीक आ रही है, लेकिन इस सौदे को लेकर बातचीत अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाने से बाजार का सेंटिमेंट नकारात्मक बना हुआ है।

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