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बचपन से ही अगर बच्चों में भरना है सफलता पाने का जुनून, तो 3 मिनट के इस शानदार वीडियो में देखे 8 असरदार ट्रिक्स

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हर माता-पिता की यह स्वाभाविक इच्छा होती है कि उनका बच्चा भविष्य में सफल और आत्मनिर्भर बने। लेकिन सफलता कोई एक दिन में मिलने वाली चीज नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसकी नींव बचपन में ही रखी जाती है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा न केवल पढ़ाई में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो, तो उसमें बचपन से ही ‘सक्सेस हंगर’ यानी सफलता की भूख पैदा करना ज़रूरी है।

1. सकारात्मक सोच और वातावरण दें

बच्चों के मन को समझना आसान नहीं होता, लेकिन उनके आसपास का माहौल ही उनके सोचने, समझने और सीखने की दिशा तय करता है। जब वे सकारात्मकता से घिरे रहते हैं—चाहे वह घर हो या स्कूल—तो वे स्वयं में आत्मविश्वास महसूस करते हैं। इसलिए घर में हमेशा उत्साहजनक बातचीत करें। किसी भी असफलता पर डांटने की बजाय यह समझाएं कि गलतियों से ही सीख मिलती है।

2. रोल मॉडल बनें, उपदेश नहीं उदाहरण दें

बच्चे वही सीखते हैं जो वे देखते हैं। अगर आप खुद मेहनत करते हैं, समय का मूल्य जानते हैं और निरंतर कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं, तो बच्चा भी यही आदतें अपनाएगा। रोज़ाना की दिनचर्या में अपने बच्चे को शामिल करें—चाहे वो घर के छोटे-छोटे काम हों या कोई नई योजना बनाना। इससे उन्हें समझ में आएगा कि मेहनत और अनुशासन ही सफलता की पहली सीढ़ी हैं।

3. प्रेरणादायक कहानियां और किताबें पढ़ाएं

बचपन में सुनी गई कहानियां जीवन भर असर छोड़ती हैं। महान व्यक्तित्वों की जीवन यात्रा, उनके संघर्ष और सफलता की कहानियां बच्चों के मन में प्रेरणा भरती हैं। उन्हें चाणक्य, स्वामी विवेकानंद, एपीजे अब्दुल कलाम, रानी लक्ष्मीबाई जैसी शख्सियतों की जीवनगाथा सुनाएं या ऐसी किताबें दें जो उनके भीतर सीखने और आगे बढ़ने की ललक जगाएं।

4. लक्ष्य तय करना सिखाएं

अक्सर बच्चे बिना दिशा के मेहनत करते हैं, जिससे उन्हें परिणाम नहीं मिलते। उन्हें सिखाएं कि लक्ष्य निर्धारण कितना ज़रूरी है। उदाहरण के तौर पर अगर वे परीक्षा में टॉप करना चाहते हैं, तो उसके लिए कौन-कौन से विषयों पर अधिक ध्यान देना होगा, दिन में कितना समय देना है—ये सब बातें साथ बैठकर तय करें। इससे बच्चा खुद अपनी प्रगति को मापना सीखेगा और आत्मनिर्भर बनेगा।

5. असफलता को डर नहीं, सबक बनाएं

बच्चों में अक्सर असफलता को लेकर डर होता है। उन्हें समझाएं कि असफलता ही सबसे बड़ी शिक्षक है। जब वे कोई टेस्ट में कम नंबर लाएं या किसी प्रतियोगिता में पीछे रह जाएं, तो उन्हें यह न बताएं कि वे ‘नाकाम’ हैं, बल्कि उन्हें यह एहसास दिलाएं कि यह प्रयास अगली सफलता के लिए नींव है। ऐसे अनुभवों से बच्चा मानसिक रूप से मजबूत होता है और अगली बार अधिक तैयारी करता है।

6. खुद से मुकाबला करना सिखाएं

बच्चों को दूसरों से तुलना करने की बजाय खुद से बेहतर बनने की प्रेरणा दें। “कल से बेहतर आज बनो”—ये मंत्र उन्हें दिन-प्रतिदिन खुद को निखारने की दिशा में ले जाएगा। आप उन्हें उनके पुराने रिजल्ट्स दिखाकर कह सकते हैं, “देखो तुमने पिछले महीने इतने नंबर लाए थे, अब थोड़ा और सुधार किया जा सकता है।”

7. रचनात्मकता को बढ़ावा दें

हर बच्चा किसी न किसी विशेष गुण के साथ जन्म लेता है। कुछ बच्चे कला में अच्छे होते हैं, कुछ विज्ञान में, कुछ खेलों में। उनकी रुचियों को पहचाने और उसी दिशा में उन्हें मार्गदर्शन दें। जब वे अपनी रुचि के क्षेत्र में कार्य करेंगे, तो खुद-ब-खुद सफलता की भूख और उसे पाने का ज़ज़्बा उनके भीतर जन्म लेगा।

8. समय प्रबंधन की आदत डालें

समय की कीमत जितनी जल्दी समझ आ जाए, उतना अच्छा। बच्चों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए टाइम टेबल बनाना सिखाएं। जैसे स्कूल होमवर्क, खेलने का समय, टीवी देखने की सीमा आदि तय करें। समय का सदुपयोग उन्हें भविष्य में मल्टीटास्किंग और जिम्मेदारी निभाने में मदद करेगा।

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