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बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी है “PANTS RULE”, पेरेंट्स जरूर सिखाएं ये 5 बातें

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आज के समय में माता-पिता बच्चों की सुरक्षा को लेकर ज़्यादा चिंतित रहते हैं, खासकर अपनी बेटी की। उनके मन में हमेशा किसी हादसे का डर बना रहता है, और जब तक बच्ची घर नहीं आ जाती, वे तनाव में रहते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने वर्ष 2021 के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि उस दौरान बलात्कार के 31677 मामले दर्ज किए गए। इसके अनुसार, पूरे वर्ष में हर दिन लगभग 86 बलात्कार के मामले सामने आए। 2020 में 28046 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए जबकि 2019 में 32033 मामले दर्ज किए गए। 31677 बलात्कार के मामलों में से 28147 मामले ऐसे थे जिनमें पीड़िता के साथ उसके किसी परिचित ने ही बलात्कार किया।

बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें कुछ बातें सिखाना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि बच्चों को सही जानकारी नहीं होती, वे सही और गलत में अंतर नहीं कर पाते। इसलिए, आपको अपनी बेटी और बेटे दोनों को पैंट्स रूल के बारे में ज़रूर बताना चाहिए। उनकी सुरक्षा के लिहाज़ से यह एक बेहतर कदम भी हो सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में

पैंट्स रूल क्या हैं?

इसमें P का मतलब प्राइवेट पार्ट है। बच्चे को शरीर के प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बताएँ। साथ ही उन्हें यह भी बताएँ कि किसी को भी उन्हें छूने नहीं देना चाहिए। किसी को भी, चाहे वह आपके परिवार का सदस्य ही क्यों न हो, उन्हें छूने नहीं देना चाहिए। यह भी समझाएँ कि कभी-कभी डॉक्टर या नर्स को ऐसा करना पड़ता है, लेकिन इससे पहले उन्हें बच्चे और उसके माता-पिता से कारण बताकर पूछना चाहिए।

इसका मतलब है कि हमेशा याद रखें कि आपका शरीर आपका है। बच्चे को यह समझना चाहिए कि कोई भी आपको ऐसा कुछ करने के लिए मजबूर न करे जिससे आपको शर्मिंदगी और असहजता महसूस हो। अगर कोई प्राइवेट पार्ट्स को छूने या देखने की कोशिश करे, तो उसे ऐसा न करने दें। अगर कोई ऐसा करता है, तो तुरंत माता-पिता को बताएँ।

इसमें N का मतलब है ना। बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें ना कहने का अधिकार है। चाहे उनके परिवार या किसी भी व्यक्ति से कोई भी समस्या हो। अगर कोई उनकी बात नहीं सुनता है, तो उन्हें किसी भरोसेमंद व्यक्ति और माता-पिता से इस बारे में बात करनी चाहिए।

T का मतलब है बातचीत। इसमें बच्चों को बताया जाना चाहिए कि उन्हें अपने माता-पिता से ऐसी बातों के बारे में बात करनी चाहिए जो उन्हें परेशान करती हैं। बच्चों को बताएँ कि अगर उन्हें कोई समस्या है या कोई उनसे कुछ कहता है, तो उसके बारे में अपने माता-पिता से बात करें। इसमें अच्छी और बुरी दोनों तरह की बातें शामिल हैं। जैसे, उनका कोई नया दोस्त बना है या किसी ने उन्हें कुछ कहा है। अगर आप किसी बात को लेकर उदास, तनावग्रस्त या डरे हुए हैं, तो यह बुरी बात है। ये सभी बातें माता-पिता को बतानी चाहिए। माता-पिता बच्चे से यह भी पूछें कि उसने दिन भर क्या किया और किसी ने क्या कहा। साथ ही बच्चे को समझाएँ कि अगर कोई भी व्यक्ति बच्चे से कहता है कि यह बात माता-पिता या किसी को मत बताना, तो बच्चों के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि वे वह बात माता-पिता को बताएँ।

S का मतलब बताएँ, तो कोई आपकी मदद कर पाएगा। बच्चे को समझाएँ कि अगर वह किसी बात को लेकर चिंतित है, तो उसे अपने माता-पिता से इस बारे में बात करनी चाहिए। अगर स्कूल, समाज या कोई भी उन्हें कुछ कहता है या उनके साथ बुरा व्यवहार करता है, तो माता-पिता को इसके बारे में ज़रूर बताना चाहिए।

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