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बच्चों के कमजोर आत्मविश्वास के पीछे छिपे 8 बड़े कारण जिन पर ध्यान न दिया तो बिगड़ सकता है भविष्य, पेरेंट्स जरूर देखे ये वीडियो

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आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बच्चों का जीवन भी पहले जैसा सरल नहीं रहा। पढ़ाई, प्रतिस्पर्धा, डिजिटल दुनिया और सामाजिक दबाव ने बच्चों के व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि आज कई बच्चे आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे हैं। यह समस्या केवल उनकी पढ़ाई या खेल तक सीमित नहीं रहती, बल्कि धीरे-धीरे उनके संपूर्ण व्यक्तित्व विकास और भविष्य को प्रभावित करती है।

1. तुलना और आलोचना की आदत

बच्चों में आत्मविश्वास कम होने का सबसे बड़ा कारण है – उनकी निरंतर तुलना। अक्सर माता-पिता या शिक्षक बच्चों की तुलना दूसरों से करने लगते हैं। जैसे – “देखो, तुम्हारा दोस्त कितना अच्छा पढ़ता है, और तुम क्यों पीछे रह जाते हो?”। ऐसे शब्द बच्चों के मन में हीनभावना पैदा कर देते हैं। निरंतर आलोचना से बच्चे अपने भीतर नकारात्मकता भर लेते हैं और धीरे-धीरे उनमें आत्मविश्वास खत्म होने लगता है।

2. अत्यधिक अपेक्षाएँ

आजकल माता-पिता बच्चों से बहुत ज़्यादा उम्मीदें रखते हैं। वे चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई, खेल, कला हर क्षेत्र में आगे रहे। लेकिन जब बच्चा उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता, तो उसे डांट या उपेक्षा झेलनी पड़ती है। यह स्थिति बच्चों को अंदर से तोड़ देती है। वे सोचने लगते हैं कि वे किसी काम के योग्य नहीं हैं। यही सोच आत्मविश्वास को सबसे अधिक कमजोर करती है।

3. डिजिटल दुनिया और सोशल मीडिया का दबाव

बच्चों में आत्मविश्वास की कमी का एक बड़ा कारण सोशल मीडिया भी है। आज बच्चे मोबाइल और इंटरनेट से घिरे हुए हैं। वे दूसरों की चमक-धमक वाली ज़िंदगी देखकर अपने आपको कमतर समझने लगते हैं। ‘लाइक्स’ और ‘फॉलोअर्स’ का दबाव उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करता है। यह सोच उन्हें धीरे-धीरे आत्मग्लानि और आत्मविश्वास की कमी की ओर धकेल देती है।

4. असफलता का डर

हर बच्चा अपनी ज़िंदगी में असफलता का सामना करता है, लेकिन जब घर या समाज असफलता को स्वीकार नहीं करता, तो बच्चे में डर घर कर जाता है। परीक्षा में कम अंक आने या खेल में हार जाने के बाद अगर बच्चों को डांट-फटकार मिले, तो उनके मन में ‘फेल होने का डर’ हमेशा बना रहता है। यही डर उन्हें नई चुनौतियों का सामना करने से रोक देता है।

5. संवाद की कमी

आज की व्यस्त जीवनशैली में माता-पिता बच्चों से खुलकर बात नहीं कर पाते। न उनकी परेशानियों को सुनते हैं और न उनके विचारों को महत्व देते हैं। बच्चों को जब अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का मौका नहीं मिलता, तो वे भीतर ही भीतर दबाव महसूस करते हैं। यह दबाव धीरे-धीरे उनके आत्मविश्वास को कम कर देता है।

6. बुलिंग और सामाजिक ताने

स्कूल या समाज में बच्चों को अक्सर बुलिंग (परेशान करने) का सामना करना पड़ता है। शारीरिक बनावट, रंग, बोलचाल या किसी भी कमी को लेकर उनका मजाक उड़ाया जाता है। बार-बार ऐसी स्थिति का सामना करने पर बच्चा खुद को ‘अलग’ और ‘कमज़ोर’ मानने लगता है। इस कारण वह भीड़ से दूर रहने लगता है और उसका आत्मविश्वास टूट जाता है।

7. अवसरों की कमी

कुछ बच्चों को खुद को साबित करने का मौका ही नहीं मिलता। चाहे घर में हो या स्कूल में, अगर बच्चे को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर न मिले, तो वह धीरे-धीरे खुद को कमज़ोर समझने लगता है। लगातार अवसरों से वंचित रहने वाले बच्चे आत्मविश्वास की कमी से ग्रसित हो जाते हैं।

8. अत्यधिक नियंत्रण (Over Control)

जब माता-पिता बच्चों पर हर छोटी-बड़ी बात में नियंत्रण रखते हैं – जैसे क्या पहनना है, किससे बात करनी है, कौन-सा खेल खेलना है – तो बच्चे अपनी इच्छाओं और फैसलों को दबाना सीख जाते हैं। ऐसे बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती और वे आत्मविश्वास से वंचित रह जाते हैं।

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