मुंबई, 28 जून (आईएएनएस)। ‘अब्बा डब्बा जब्बा’ का जादू हो या ‘पिंकी बुआ’ की हाजिरजवाबी, उपासना सिंह ने अपने अभिनय और कॉमिक टाइमिंग से हर किरदार से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। 29 जून को उपासना का 50वां जन्मदिन है। उनकी जिंदगी की कहानी भी उतनी ही खूबसूरत और प्रेरणादायक है, जितने उनके किरदार। पंजाब के छोटे से शहर से निकलकर टीवी और फिल्म इंडस्ट्री तक का सफर तय करने वाली उपासना की कहानी किसी स्क्रिप्ट से कम नहीं।
पंजाब के होशियारपुर में 29 जून 1975 को जन्मीं उपासना सिंह का बचपन सादगी और सपनों से भरा था। मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढ़ी उपासना को बचपन से ही अभिनय का शौक था।
महज सात साल की उम्र में वह स्कूल की ओर से दूरदर्शन पर कार्यक्रम प्रस्तुत करती थीं। यह वह दौर था जब उपासना का सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन किस्मत ने उन्हें अभिनय की दुनिया में पहुंचा दिया। पंजाब यूनिवर्सिटी से ड्रामेटिक आर्ट्स में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने वाली उपासना ने पढ़ाई के दौरान ही एक्टिंग की शुरुआत कर दी थी।
उपासना ने 1986 में राजश्री प्रोडक्शंस की फिल्म ‘बाबुल’ से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करियर की शुरुआत की। हालांकि, असली पहचान उन्हें साल 1988 में राजस्थानी फिल्म ‘बाई चली सासरिए’ से मिली, जो उस दौर की सबसे सफल राजस्थानी फिल्मों में से एक थी। यह फिल्म 100 दिनों तक सिनेमाघरों में चली और उपासना की अभिनय प्रतिभा को नई ऊंचाइयों तक ले गई। इसके बाद उन्होंने पंजाबी, गुजराती, भोजपुरी और हिंदी सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी।
‘जुदाई’ (1997) में उनके ‘अब्बा डब्बा जब्बा’ डायलॉग ने उन्हें मशहूर कर दिया। इस फिल्म में उपासना की कमाल की कॉमिक टाइमिंग ने दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया।
उपासना ने करीब 70 से अधिक हिंदी फिल्मों और 40 से ज्यादा भोजपुरी फिल्मों के साथ ही पंजाबी, गुजराती और राजस्थानी सिनेमा में भी काम किया है। ‘लोफर’, ‘हंगामा’, ‘हलचल’, ‘एतराज’ और ‘जुड़वा 2’ जैसी फिल्मों में उनके छोटे लेकिन प्रभावशाली किरदारों ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया।
वहीं, पंजाबी सिनेमा में ‘जट्ट एंड जूलियट’ और ‘डिस्को सिंह’ जैसी फिल्मों में उनकी मौजूदगी ने उन्हें क्षेत्रीय सिनेमा में भी लोकप्रिय बनाया। साल 2024 में उपासना ने 14 साल बाद भोजपुरी सिनेमा में ‘सास सरकार बहू चौकीदार’ से वापसी की, जिसमें वह एक सशक्त सास के किरदार में थीं।
उपासना सिंह एक ऐसा नाम है, जो न केवल फिल्म बल्कि टीवी की दुनिया में भी सफल रहीं। फिर ‘द कपिल शर्मा शो’ में ‘पिंकी बुआ’ के किरदार की बात हो या ‘सोनपरी’ की ‘काली परी’ की। ‘पिंकी बुआ’ की हाजिरजवाबी और पंजाबी अंदाज में अंग्रेजी बोलने की शैली ने दर्शकों को खूब हंसाया। यह किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि उपासना ‘टीवी की बुआ’ के नाम से मशहूर हो गईं। इसके अलावा, स्टार प्लस के बच्चों के पसंदीदा शो ‘सोनपरी’ में ‘काली परी’ के नकारात्मक किरदार ने भी उन्हें खूब सुर्खियां दिलाईं। “शैतान से जन्मी, अंधेरों में पली, कहते हैं सब मुझको काली परी” यह डायलॉग आज भी बच्चों के जेहन में ताजा है।
इसके अलावा, ‘मायका’, ‘राजा की आएगी बारात’, ‘बानी-इश्क दा कलमा’ और ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ के साथ ‘जीजा जी छत पर हैं’ जैसे सीरियल्स में भी उनकी एक्टिंग को सराहा गया।
उपासना सिंह की सबसे बड़ी खासियत उनकी कॉमिक टाइमिंग है। चाहे वह ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ में ‘पिंकी बुआ’ का किरदार हो या ‘गैंग्स ऑफ फिल्मिस्तान’ में स्टैंड-अप कॉमेडी, उन्होंने हर बार दर्शकों को हंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी पंजाबी और अंग्रेजी मिश्रित डायलॉग डिलीवरी दर्शकों को खूब पसंद आती है।
उपासना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह श्रीदेवी की फैन हैं और ‘जुदाई’ में काम करने के लिए उन्होंने खुद निर्देशक राज कंवर से संपर्क किया था।
उपासना की निजी जिंदगी भी सुर्खियों में रही। साल 2009 में उन्होंने टीवी अभिनेता नीरज भारद्वाज से शादी की, जिनके साथ उन्होंने सीरियल ‘ऐ-दिल-ए-नादान’ में काम किया था। हालांकि, दोनों तलाक की अर्जी दाखिल करने के साथ ही एक-दूसरे से अलग हो गए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, उपासना पति के पास वापस लौट चुकी हैं। उनका एक बेटा है, जिसका नाम उन्होंने नानक सिंह रखा है।
50 साल की उम्र में भी उपासना सिंह की ऊर्जा और जुनून में कोई कमी नहीं है। हाल ही में उन्होंने पंजाबी फिल्म ‘बाई जी कुट्टन गै’ का निर्देशन किया, जिसके लिए वह मिस यूनिवर्स हरनाज कौर संधू के खिलाफ कानूनी विवाद में भी उलझीं। उपासना ने हरनाज पर फिल्म के प्रमोशन के लिए समय नहीं देने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था।
–आईएएनएस
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