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बर्थडे स्पेशल : नितिन मुकेश का लता मंगेशकर से था खास रिश्ता, ‘दीदी’ ने उनके करियर को दी थी उड़ान

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मुंबई, 26 जून (आईएएनएस)। हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक नितिन मुकेश का जन्मदिन 27 जून को है। 1950 को मुंबई में जन्मे नितिन ने अपनी मखमली आवाज और भावपूर्ण गायकी से लाखों दिलों को जीता। उनके पिता, महान गायक मुकेश और मां, सरला, प्लेबैक सिंगर थीं। संगीतमय माहौल में पले-बढ़े नितिन ने संगीत को अपनी आत्मा का हिस्सा बनाया। नितिन का ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर के साथ खास रिश्ता था। पारिवारिक और पेशेवर रिश्ता उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा। नितिन मुकेश के करियर को भी दिवंगत लता मंगेशकर ने उड़ान दी थी।

उनकी गायकी में पिता की भावनात्मक गहराई और उनकी अनूठी शैली का मिश्रण देखने को मिलता है।

नितिन मुकेश का संगीत के साथ बचपन से ही गहरा रिश्ता था। पिता मुकेश ने गायकी से हिंदी सिनेमा में एक अलग पहचान बनाई और नितिन ने उनकी छाया में संगीत की बारीकियां सीखीं। साल 1978 में फिल्म ‘झूठी’ से उन्होंने एक प्लेबैक सिंगर के तौर पर शुरुआत की, जहां उनके पहले गीत ने ही दर्शकों का ध्यान खींचा।

नितिन ने खय्याम, आर.डी. बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, बप्पी लहरी और नदीम-श्रवण जैसे संगीतकारों के साथ काम किया। उन्होंने अभिनेता मनोज कुमार, शशि कपूर, जीतेंद्र, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ जैसे सितारों के लिए गीत गाए। उनकी आवाज में रोमांस के साथ दर्द और भक्ति के रंग भी इतने जीवंत थे कि हर गीत श्रोताओं के दिलों को छू जाता था।

नितिन मुकेश ने कई सुपरहिट गाने दिए, जो आज भी संगीत प्रेमियों की जुबान पर हैं। 1989 में आई ‘राम लखन’ फिल्म का गाना ‘माय नेम इज लखन’ साल 2025 में भी पुराना नहीं हुआ है। ‘तेजाब’ का गाना ‘सो गया ये जहां’ , ‘क्रांति’ का ‘जिंदगी की ना टूटे लड़ी’ और ‘नूरी’ का गाना ‘आजा रे ओ मेरे दिलबर आजा’ जैसे गीत उनकी गायकी के जादू को बयां करते हैं। खासकर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ उनकी जोड़ी ने कई यादगार गाने दिए।

‘मैंने प्यार किया’ के ‘दिल दीवाना’ जैसे रोमांटिक गीतों से लेकर ‘ओम जय जगदीश हरे’ जैसे भजनों तक, नितिन ने हर शैली में अपनी शानदार छाप छोड़ी। उनकी गायकी में भारतीय लोक संगीत और समकालीन धुनों का अनोखा मेल देखने को मिलता है।

उन्होंने न केवल लता मंगेशकर, आशा भोसले बल्कि कविता कृष्णमूर्ति, अनुराधा पौडवाल और अलका याग्निक के साथ भी शानदार गाने गाए, जो आज भी लोकप्रिय हैं।

बता दें, नितिन मुकेश और लता मंगेशकर के बीच का रिश्ता बेहद खास था। नितिन लता जी को ‘लता दीदी’ बुलाते थे, ठीक वैसे ही जैसे उनके पिता मुकेश। यह रिश्ता 1976 में मुकेश जी के निधन के बाद और मजबूत हुआ, जब लता जी ने नितिन को अपने एक इंटरनेशनल शो में शामिल किया। मुकेश जी के साथ दो प्रोग्राम साइन किए गए थे, लेकिन उनके निधन के बाद लता जी ने नितिन को प्रोत्साहित किया और कहा, “तू चल, अपने पापा का अधूरा सपना पूरा कर।”

फिर क्या था लता दीदी की छत्रछाया में नितिन अपनी आवाज का जादू दुनियाभर में बिखेरने के लिए निकल पड़े।

शोज में नितिन ने लता जी के साथ गाया और ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर पहचान बनाई। लता जी ने उन्हें मंच पर पेश करते हुए कहा, “यह मेरे मुकेश भैया का बेटा है।” इस तरह लता जी ने नितिन के करियर को नई उड़ान दी।

लता जी के मार्गदर्शन और समर्थन ने नितिन को न केवल पेशेवर रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी मजबूती दी। नितिन के बेटे का नाम नील नितिन मुकेश है, जो आज एक जाना-माना नाम है। खास बात है कि नील का नाम लता मंगेशकर ने अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग के नाम पर रखा था, जो नितिन और लता जी के गहरे रिश्ते को दिखाता है।

नितिन मुकेश को उनकी शानदार गायकी के लिए कई सम्मान मिले। ‘सो गया ये जहां’ गीत के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके अलावा, उन्हें लता मंगेशकर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया।

उनकी गायकी और भजन आज भी संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं। वह संगीत की दुनिया में आज भी एक्टिव हैं।

–आईएएनएस

एमटी/जीकेटी

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