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बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले करें काशी के कोतवाल के दर्शन, तभी यात्रा होगी पूरी, जाने क्यों शिवजी ने बनाया था काशी का रक्षक

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प्राचीन और पवित्र नगरी काशी, जिसे विश्वनाथ की नगरी के नाम से भी जाना जाता है, अपनी अनगिनत धार्मिक कथाओं और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस नगर में एक ऐसा कोतवाल विराजमान है, जो न केवल काशी की रक्षा करता है, बल्कि हर आने-जाने वाले का हिसाब-किताब अपने रजिस्टर में दर्ज करता है। वह है—बाबा काल भैरव, जिन्हें भगवान शिव के उग्र स्वरूप के रूप में पूजा जाता है।

काल भैरव को क्यों कहा जाता है काशी का कोतवाल?

स्कंद पुराण और अन्य पौराणिक कथाओं में काल भैरव का उल्लेख भगवान शिव के क्रोध के स्वरूप के रूप में मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता की लड़ाई छिड़ी। क्रोधित शिव ने अपने उग्र रूप काल भैरव के माध्यम से ब्रह्मा का सिर काट दिया। इस अपराध—ब्रह्महत्या के कारण काल भैरव को पाप हुआ और मुक्ति के लिए वह काशी आए। यहां गंगा नदी में स्नान करके उनका पाप धो दिया गया। यही स्थान ‘कपाल मोचन तीर्थ’ के नाम से विख्यात है।

भगवान विश्वनाथ ने इसी कारण काल भैरव को काशी का कोतवाल नियुक्त किया। उनकी भूमिका काशी में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और पापियों को दंडित करने की रही है। धार्मिक मान्यता है कि बिना उनकी अनुमति के कोई भी काशी में प्रवेश नहीं कर सकता। इसी कारण वे काशी के वास्तविक संरक्षक और रक्षक कहे जाते हैं।

काशी के कोतवाल के दर्शन का महत्व

काशी के ज्योतिषाचार्य और पंडित राजेंद्र पाण्डेय के अनुसार, काशी विश्वनाथ मंदिर की यात्रा तभी पूर्ण मानी जाती है जब श्रद्धालु सर्वप्रथम काल भैरव के दर्शन कर लें। उनका आशीर्वाद प्राप्त करना अनिवार्य माना जाता है। ऐसा करने से जीवन की तमाम समस्याएं जैसे कोर्ट-कचहरी के मामले, रोग-व्याधि और अन्य कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। भक्तों का मानना है कि बाबा काल भैरव की कृपा से ही काशी की यात्रा सफल होती है।

काल भैरव को चढ़ाई जाने वाली विशेष चीजें

काल भैरव की पूजा में विशेष चढ़ावा चढ़ाया जाता है। उन्हें सरसों का तेल, उड़द से बने वड़े, नीली माला और काले वस्त्र अत्यंत प्रिय हैं। हर रविवार, मंगलवार के अलावा भैरव अष्टमी और महाशिवरात्रि पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर के आसपास कई श्वान भी पाए जाते हैं, जिन्हें बाबा काल भैरव की सवारी माना जाता है। भक्त उन्हें दूध, बर्फी, रबड़ी, बिस्किट आदि खिलाकर बाबा की प्रसन्नता का कारण बनते हैं।

सरकार और हस्तियों का आशीर्वाद लेने का स्थान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई बड़े राजनेता और फिल्मी हस्तियां भी काशी विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन करने से पूर्व काल भैरव के मंदिर पहुंचकर आशीर्वाद लेते हैं। यह परंपरा इस बात का प्रमाण है कि काशी के कोतवाल की भूमिका सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। काशी के काल भैरव का यह मंदिर धार्मिक आस्था और पौराणिक कथाओं का अनूठा मेल है, जो श्रद्धालुओं के लिए काशी की यात्रा का अभिन्न अंग बन चुका है। यहां की यह प्राचीन परंपरा आज भी जीवित है और आने वाले प्रत्येक भक्त को अपनी ओर आकर्षित करती है।

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