अब इंसान के दिमाग को सीधे कंप्यूटर से जोड़ने का सपना साकार होने जा रहा है। अमेरिका की नई कंपनी पैराड्रोमिक्स ने पहली बार इंसान के दिमाग में एक खास डिवाइस लगाने में सफलता हासिल की है। यह डिवाइस हमारे दिमाग के सोचने के तरीके को टेक्स्ट, वॉयस या कंप्यूटर कमांड में बदल सकती है। इसकी मदद से जो लोग बोल या चल नहीं सकते, वे दुनिया से बात कर सकेंगे। यह एक बड़ी सफलता है और इसका सीधा मुकाबला एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक से है। इससे यह भी पता चलता है कि आने वाले समय में इंसान और मशीन के बीच का अंतर कम हो जाएगा।
पहला इंसानी दिमाग का प्रत्यारोपण सफल
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) तकनीक पर काम कर रही अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी पैराड्रोमिक्स ने पहली बार इंसान के दिमाग में अपनी डिवाइस लगाने में सफलता हासिल की है। यह ऑपरेशन 14 मई को मिशिगन यूनिवर्सिटी के डॉ. मैथ्यू विल्सी और डॉ. ओरेन सेगर की टीम ने मिलकर किया। इम्प्लांट को करीब 10 मिनट तक रखा गया और फिर सुरक्षित तरीके से निकाल लिया गया। इससे पहले कंपनी ने करीब तीन साल तक भेड़ों पर इसका परीक्षण किया था। इस डिवाइस को ‘कॉनेक्सस’ के नाम से जाना जाता है और इसका उद्देश्य मस्तिष्क के संकेतों को बोलने, लिखने या कंप्यूटर कर्सर को हिलाने जैसे कार्यों में बदलना है।
क्या होता है ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस?
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) एक ऐसी तकनीक है जो हमारे मस्तिष्क को किसी मशीन (जैसे कंप्यूटर) से जोड़ती है। इसका मतलब है कि इंसान अपने हाथ-पैर हिलाए बिना सिर्फ़ अपने दिमाग से मशीन को नियंत्रित कर सकता है। इस तकनीक का आइडिया सबसे पहले 1973 में जैक्स विडाल नामक वैज्ञानिक ने दिया था। तब से इस पर बहुत सारे शोध हुए हैं। 2003 में ड्यूक यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञानिकों ने दिखाया कि बंदर अपने दिमाग में लगाए गए खास इलेक्ट्रोड की मदद से रोबोटिक हाथ को हिला सकते हैं। 2004 में मैट नेगल नामक एक युवा एथलीट ने इस तकनीक से कंप्यूटर माउस कर्सर और नकली हाथ को संचालित करने में सफलता पाई। आज भी कई कंपनियां इस पर काम कर रही हैं। पैराड्रोमिक्स नामक कंपनी ऐसे लोगों की मदद करना चाहती है जो लकवा, स्ट्रोक या एएलएस जैसी बीमारियों के कारण बोलने या हिलने-डुलने में असमर्थ हैं। बीसीआई की मदद से ये लोग फिर से बात कर सकेंगे या चीजों को नियंत्रित कर सकेंगे।
एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक के लिए बड़ी चुनौती
पैराड्रोमिक्स की यह सफलता एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक के लिए बड़ी चुनौती मानी जा रही है। न्यूरालिंक इस समय सबसे लोकप्रिय ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी है और इसने अब तक तीन मरीजों में अपना ब्रेन प्रत्यारोपित किया है। लेकिन पैराड्रोमिक्स ने यह भी दिखा दिया है कि वह इस दौड़ में पीछे नहीं है। कंपनी का कहना है कि वह इस साल के अंत तक इंसानों पर इसका दीर्घकालिक परीक्षण शुरू करेगी ताकि यह देखा जा सके कि यह तकनीक कितनी सुरक्षित और प्रभावी है।
यह डिवाइस कब तक बाजार में आएगी?
इस कंपनी की शुरुआत 2015 में हुई थी और यह अमेरिका के टेक्सास के ऑस्टिन में स्थित है। इसके सीईओ मैट एंगल का कहना है कि उनकी कंपनी ऐसी बीमारियों का इलाज करना चाहती है जो पहले इलाज योग्य नहीं थीं। कंपनी ने कहा है कि भविष्य में यह डिवाइस करीब 1 लाख डॉलर यानी करीब 83 लाख रुपये में मिल सकती है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो इसे इस दशक के अंत तक बाजार में उतारने की योजना है। यह तकनीक मस्तिष्क संबंधी बीमारी से पीड़ित लोगों की मदद कर सकती है। इसके अलावा यह इंसानों को कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी डिजिटल चीजों से भी जोड़ सकती है।