Home व्यापार ‘भारतीय मानक ब्यूरो’ वार्षिक मानकीकरण कार्यक्रम 2025-26 करेगा लॉन्च

‘भारतीय मानक ब्यूरो’ वार्षिक मानकीकरण कार्यक्रम 2025-26 करेगा लॉन्च

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नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) वार्षिक मानकीकरण कार्यक्रम (एपीएस) 2025-26 शुरू करने जा रहा है। जिसमें आने वाले वर्ष में विकसित किए जाने वाले नए मानक और अपडेट किए जाने वाले मौजूदा मानक दोनों ही शामिल होंगे। शुक्रवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई।

यह प्रयास बीआईएस द्वारा विकसित 23,000 से अधिक मानकों के लिए अडॉप्शन रेट को बढ़ाए जाने के अनुरूप है ताकि विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक रूप से स्वीकृत गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।

भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय बीआईएस ने एक डिजिटल इंटरफेस भी पेश किया है जो हितधारकों को प्रस्ताव अपलोड करने और उनकी प्रगति को ट्रैक करने की सुविधा देता है।

हाल ही में हितधारकों की बैठक को संबोधित करते हुए, बीआईएस के महानिदेशक, प्रमोद कुमार तिवारी ने मंत्रालयों और उद्योग संघों के प्रतिनिधियों से प्रस्तावित मानकों के विकास में सक्रिय रूप से योगदान देने को कहा। साथ ही जरूरत पड़ने पर प्रासंगिक विशेषज्ञों को नामित करने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “वार्षिक मानकीकरण कार्यक्रम 2025-26 न केवल एक केंद्रित रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ जरूरत-आधारित मानकीकरण की सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि चिंता से जुड़े विषयों को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही यह कार्यक्रम इन मानकों को व्यापक रूप से अपनाने और निर्बाध कार्यान्वयन को भी बढ़ावा देगा।”

बीआईएस मंत्रालयों और उद्योग संघों के साथ मिलकर काम करता है, जिसका उद्देश्य अंतर की पहचान करना और राष्ट्रीय मानकों के निर्माण में भाग लेना है।

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एपीएस 2025-26 से जरूरी मानकों के निर्माण में वृद्धि होने की उम्मीद है। साथ ही मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में मानकों को अपनाने और निर्बाध कार्यान्वयन को बढ़ावा मिलेगा।

बीआईएस यह सुनिश्चित करता है कि उसके प्रमाणित मानकों को मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों द्वारा पूरा किया जाए। इसके लिए बीआईएस सर्च ऑपरेशन भी चलाता है।

बीआईएस ने इस महीने कई ई-कॉमर्स कंपनियों पर छापे मारे और उन सामानों को जब्त कर लिया जो इन मानकों को पूरा नहीं करते थे।

बीआईएस अधिनियम, 2016 की धारा 17 के तहत, नियमों का उल्लंघन होने पर कम से कम 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है, जो बेचे गए या बिक्री के लिए पेश किए गए सामान के दाम से दस गुना तक हो सकता है। इसके अलावा, उल्लंघन की गंभीरता के आधार पर, अपराधियों को दो साल तक की कैद भी हो सकती है।

–आईएएनएस

एसकेटी/केआर

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