अगर आप भी एलन मस्क की सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा स्टारलिंक का इंतज़ार कर रहे हैं, तो एक बड़ा अपडेट सामने आया है। यह कंपनी अब सभी भारतीय उपयोगकर्ताओं का डेटा, ट्रैफ़िक और उससे जुड़ी जानकारियाँ देश में ही संग्रहीत करेगी। इसके लिए वह देश में ही एक डेटा सेंटर बनाएगी।सरकार ने गुरुवार को संसद में यह जानकारी दी। अब कंपनी को कुछ और पड़ाव पार करने होंगे, जिसके बाद भारत में इसकी सेवा शुरू हो सकेगी। हालाँकि, अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक समय-सीमा नहीं बताई गई है।दूरसंचार विभाग (DoT) ने स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड को यूनिफाइड लाइसेंस (UL) दे दिया है। कंपनी ने कड़ी सुरक्षा शर्तों सहित निर्धारित शर्तों को स्वीकार कर लिया है।
केंद्रीय मंत्री ने संसद में दिया जवाब
केंद्रीय संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने राज्यसभा में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा शर्तों में अन्य बातों के अलावा, भारत में सैटेलाइट आधारित संचार सेवा प्रदान करने के लिए एक अर्थ स्टेशन गेटवे की स्थापना भी शामिल है।उन्होंने आगे बताया कि इसमें भारत से आने वाले या भारत के लिए आने वाले किसी भी उपयोगकर्ता के ट्रैफ़िक को देश के बाहर स्थित किसी भी गेटवे से रूट नहीं किया जाएगा।देश के बाहर भारतीय डेटा की कॉपी और उसमें सेंध नहीं लगाई जा सकेगी। साथ ही, भारतीय ट्रैफ़िक को विदेश स्थित किसी भी सिस्टम या सर्वर पर मिरर नहीं किया जा सकेगा।
स्टारलिंक को अभी करना होगा इंतज़ार
बता दें कि स्टारलिंक को जून में एकीकृत लाइसेंस मिला था, जिसके बाद पिछले महीने उसे भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) से 5 साल के लिए अनुमति मिल गई। भारत में अपनी सेवाएँ शुरू करने से पहले स्टारलिंक को सरकार से स्पेक्ट्रम प्राप्त करना होगा। ज़मीनी बुनियादी ढाँचा स्थापित करना होगा।
एलन मस्क का स्टारलिंक क्या है?
स्टारलिंक दरअसल, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का एक सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट का काम दुनिया भर में, खासकर दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट उपलब्ध कराना है। इसके लिए स्टारलिंक पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में कई छोटे सैटेलाइट तैनात करता है। इसके बाद, उपयोगकर्ताओं को अपने स्थान पर रिसीवर लगाना होता है। इसके बाद वे इंटरनेट सेवा का उपयोग करने में सक्षम हो जाते हैं।