Home लाइफ स्टाइल भीम की किस गलती पर क्रोधित हो गए बलराम, गुस्से में आकर...

भीम की किस गलती पर क्रोधित हो गए बलराम, गुस्से में आकर चला दिया था हल, जानें इसके पीछे की पौ​राणिक कथा

3
0

महाभारत का युद्ध संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए लड़ा गया था। कुरुक्षेत्र में लड़ा गया यह युद्ध महाभारत काल की सबसे बड़ी घटना है। यह युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। 18 दिनों तक चले इस युद्ध में कई शक्तिशाली योद्धा शहीद हुए थे। कौरवों की ओर से भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य जैसे पराक्रमी योद्धा युद्ध में शामिल हुए थे। पांडवों की ओर से भगवान कृष्ण कई अन्य योद्धाओं के साथ शामिल हुए थे, लेकिन जब युद्ध अपने अंतिम चरण में था, तब एक ऐसा मोड़ आया जब भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ बलराम महाबली भीम से इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने भीम को मारने के लिए तलवार उठा ली।

क्या थी वजह?

कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध में दोनों सेनाओं के योद्धा एक-एक करके मर रहे थे। महाभारत युद्ध के 18वें दिन सहदेव ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर दुर्योधन के मामा शकुनि का वध कर दिया, जिसके बाद दुर्योधन खुद को बहुत कमजोर महसूस करने लगा, क्योंकि अपने मामा शकुनि को खोने के बाद दुर्योधन अपनी बुद्धि और शक्ति खो बैठा था। ऐसा इसलिए क्योंकि वह हमेशा शकुनि की बुद्धि के अनुसार ही काम करता था। शकुनि की मृत्यु के बाद कौरव सेना में अश्वत्थामा, कृतवर्मा, कृपाचार्य और दुर्योधन के अलावा कोई नहीं बचा था।

भीम ने दुर्योधन पर प्रहार किया

थकान के कारण दुर्योधन के अंग दुख रहे थे। वह लड़ने की स्थिति में नहीं था। खुद को बचाने के लिए दुर्योधन सरोवर में छिप गया, लेकिन पांडवों को इसकी भनक लग गई। इसके बाद भी भीम ने दुर्योधन की जांघ तोड़ दी और उसे मारकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। दुर्योधन पर किए गए प्रहार के कारण भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम भीम से बेहद क्रोधित हुए। बलराम ने भीमसेन को फटकार लगाते हुए कहा कि नाभि के नीचे प्रहार करना गदा युद्ध के नियमों के विरुद्ध है।

बलराम ने भीम पर हल उठाया

बलराम ने भीम से कहा कि यह अधर्म है, स्वेच्छाचार है। इसके बाद बलराम ने अपना हल लिया और भीमसेन पर हमला कर दिया। यह देखकर श्रीकृष्ण ने उन्हें बड़े बल से रोका। तब श्रीकृष्ण ने बलराम को समझाया कि पापी और अधर्मी व्यक्ति के लिए कई बार नियम तोड़ने पड़ते हैं, लेकिन बलराम यह सब सुनकर भी संतुष्ट नहीं हुए और क्रोध में अपने रथ पर सवार होकर द्वारका चले गए। दुर्योधन ने भी कुरुक्षेत्र की धरती पर अपने प्राण त्याग दिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here