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मुंबई में खतरनाक अंदाज में शूट करने पर सिंगर यासर के खिलाफ केस दर्ज, जानिए पूरा मामला

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दिलबरो और दिल को करार आया जैसे बेहतरीन गानों को अपनी आवाज़ देने वाले गायक यासर देसाई के खिलाफ मुंबई में शिकायत दर्ज की गई है। हाल ही में बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से गायक का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह पुल पर खड़े नज़र आ रहे थे। गायक के लापरवाह, खतरनाक और जानलेवा स्टंट को देखकर हर कोई सुरक्षा पर सवाल उठा रहा था। वीडियो वायरल होने के बाद यासर के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है।

मुंबई की बांद्रा पुलिस ने गायक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 285 (सार्वजनिक स्थानों पर खतरनाक स्टंट करना), 281 (सार्वजनिक सड़क पर लापरवाही से गाड़ी चलाना या सवारी करना) और 125 (दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य) के तहत शिकायत दर्ज की है।

यासर देसाई का वीडियो मंगलवार को वायरल हुआ था। वीडियो में गायक सी-लिंक की रेलिंग पर दोनों हाथ फैलाए खड़े दिखाई दे रहे थे। आस-पास से गुज़र रहे लोग उन्हें खतरे से आगाह भी कर रहे थे। रेलिंग पर खड़े सिंगर ने किसी का सहारा नहीं लिया और न ही उनके आस-पास कोई और था।

वहीं, इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। कुछ का कहना है कि यह किसी म्यूजिक वीडियो का हिस्सा हो सकता है, जबकि कुछ का मानना ​​है कि सिंगर आत्महत्या करने वाला है। इसके अलावा, कुछ लोगों ने यह भी पूछा कि सी-लिंक पर खड़े होने की इजाज़त किसने दी?

यासिर का जन्म मुंबई में हुआ था। उन्होंने 10 साल की उम्र में गाना शुरू कर दिया था। उनका गायक बनने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन किस्मत उन्हें यहाँ ले आई। उन्होंने दिल को करार आया, हुए बेचैन, आँखों में आँसू लेके, दिल मांग रहा है, पल्लो लटके, मखना जैसे कई हिट गाने गाए हैं। इसके अलावा, उन्होंने ‘जख्मी’, ‘बड़े भैया की दुल्हनिया’, ‘दिल संभल जा ज़रा’ आदि कई वेब सीरीज़ और टीवी सीरियल्स में अपनी आवाज़ दी है।

वर्ली सी-लिंक का निर्माण 2009 में हुआ था

मुंबई का बांद्रा-वर्ली सी-लिंक। वह पुल जिसने बांद्रा से वर्ली का सफ़र एक घंटे से घटाकर 10 मिनट कर दिया। वर्ष 2009 में, इस पुल को आम जनता के लिए खोल दिया गया। यह भारत का पहला 8-लेन और सबसे लंबा समुद्री पुल है। इसकी लंबाई 5.6 किमी है।

इस पुल के निर्माण से पहले, बांद्रा से वर्ली जाने के लिए माहिम कॉज़वे का इस्तेमाल करना पड़ता था। यह सड़क लंबी थी, मुंबई में वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ ही इस सड़क पर रोज़ाना जाम लगने लगा। इसके बाद बांद्रा को वर्ली से जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग की माँग उठने लगी।

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