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यश दयाल को इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत, यौन उत्पीड़न मामले में लगाई गिरफ्तारी पर रोक

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इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) की ओर से खेलने वाले क्रिकेटर यश दयाल को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने दयाल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इससे पहले, क्रिकेटर ने गाजियाबाद में अपने खिलाफ दर्ज एक मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि किसी को भी 5 साल तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।

मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि “किसी को भी 5 साल तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।”

आप 5 साल से रिश्ते में हैं – हाईकोर्ट

लाइव लॉ वेबसाइट के अनुसार, पीठ ने मौखिक रूप से यह भी कहा, “आपको एक दिन, दो दिन, तीन दिन के लिए बेवकूफ बनाया जा सकता है… लेकिन 5 साल तक… आप उनके साथ 5 साल से रिश्ते में हैं… किसी को भी 5 साल तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।”

27 वर्षीय क्रिकेटर यश दयाल ने एक महिला द्वारा यौन उत्पीड़न से संबंधित एक मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उनके खिलाफ 6 जुलाई को गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था।

गाजियाबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी

इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में एक महिला के कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद, यश दयाल ने इसे चुनौती दी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की। क्रिकेटर ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर मामले में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की।

यश दयाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 69 (धोखे से यौन संबंध) के तहत 6 जुलाई को गाजियाबाद के एक पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

दयाल पर शादी का झांसा देकर एक महिला का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है। शिकायतकर्ता के अनुसार, दोनों की मुलाकात लगभग 5 साल पहले हुई थी जब दयाल ने महिला से शादी का वादा किया था। पीड़िता का यह भी दावा है कि यश दयाल ने बार-बार उसके शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। और फिर उसे पता चला कि उसके कई अन्य महिलाओं के साथ भी संबंध हैं। शिकायत सबसे पहले 21 जून को मुख्यमंत्री के ऑनलाइन शिकायत निवारण पोर्टल (IGRS) पर दर्ज की गई थी।

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