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युवाओं की सबसे बड़ी समस्या….लड़कियों से बातचीत का डर, वायरल वीडियो में जानें कैसे दूर करें यह झिझक और बढ़ाएँ आत्मविश्वास

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आज के दौर में रिलेशनशिप और सोशल इंटरैक्शन का तरीका बदल चुका है। सोशल मीडिया, कॉलेज, ऑफिस या सार्वजनिक स्थानों पर लड़कों की सबसे आम समस्या यही देखी जाती है कि वे लड़कियों से बातचीत करने में हिचकिचाते हैं। बहुत से युवाओं में आत्मविश्वास की कमी होती है, जिसके कारण वे न केवल प्रपोज करने से डरते हैं, बल्कि सामान्य बातचीत करने में भी असहज महसूस करते हैं। इस झिझक के चलते अच्छे रिश्ते और दोस्ती की शुरुआत भी अधूरी रह जाती है। आइए जानते हैं कि आखिर यह झिझक क्यों होती है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है।

झिझक की वजहें
आत्मविश्वास की कमी – अधिकतर लड़के सोचते हैं कि कहीं सामने वाली लड़की उन्हें गलत न समझे या मजाक न बना दे। यही सोच उनके आत्मविश्वास को तोड़ देती है।
समाज और संस्कार का असर – कई बार बचपन से मिलने वाली सीख या सामाजिक माहौल लड़कों को रोकता है कि लड़कियों से खुलकर बातचीत करना गलत है।
रिजेक्शन का डर – लड़कों को डर रहता है कि उनकी बात कहीं ठुकरा दी गई तो उन्हें अपमान झेलना पड़ेगा।
अनुभव की कमी – जिन युवाओं के जीवन में पहले बातचीत या दोस्ती का अनुभव नहीं होता, वे ज्यादा झिझकते हैं।

झिझक दूर करने के आसान तरीके
सकारात्मक सोच अपनाएँ

बातचीत से पहले अपने मन में नकारात्मक ख्याल न लाएँ। यह मत सोचें कि सामने वाली क्या सोचेगी। हमेशा यह मानकर चलें कि बातचीत करना सामान्य और सहज बात है।

आत्मविश्वास पर काम करें
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएँ। शुरुआत परिवार, दोस्तों या सहकर्मियों से खुले अंदाज में बात करके करें। जब आप छोटे दायरे में सहज होंगे, तब बड़े दायरे में भी आसानी से बात कर पाएंगे।

सही समय और परिस्थिति चुनें
किसी भी लड़की से बातचीत करने के लिए समय और माहौल का ध्यान रखें। अगर सामने वाला व्यस्त है या असहज महसूस कर रही है, तो बातचीत शुरू न करें। सही माहौल आपको सहजता देगा।

साधारण विषयों से शुरुआत करें
बातचीत की शुरुआत हमेशा आसान और सामान्य विषयों से करें। जैसे पढ़ाई, ऑफिस का काम, शौक या मौसम पर हल्की-फुल्की बातें। इससे बातचीत का बोझ कम होगा और माहौल हल्का बनेगा।

बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दें
बातचीत करते समय आँखों में देखकर मुस्कुराएँ और स्वाभाविक बने रहें। घबराहट या बनावटीपन सामने वाले को तुरंत समझ में आ जाता है।

प्रैक्टिस ज़रूरी है
जिस तरह खेल या पढ़ाई में अभ्यास जरूरी है, वैसे ही बातचीत में भी प्रैक्टिस जरूरी है। रोज़मर्रा की स्थितियों में लोगों से अधिक संवाद करें। धीरे-धीरे यह आपकी आदत बन जाएगी।

रिजेक्शन से डरें नहीं
हर बातचीत दोस्ती या रिश्ते में नहीं बदलती। अगर सामने वाली लड़की आपकी बातों में दिलचस्पी नहीं दिखाती, तो इसे व्यक्तिगत न लें। इसे अनुभव मानकर आगे बढ़ें।

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