युवा लोग अक्सर सोचते हैं कि क्योंकि वे जवान हैं, इसलिए वे अपनी सेहत की चिंता बाद में कर सकते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ बुरी आदतें धीरे-धीरे शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके असर बाद में ज़िंदगी में गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आते हैं। हाल ही में, कई एक्सपर्ट्स ने युवाओं की ऐसी आदतों पर ध्यान दिलाया है जो लंबे समय में दिल, दिमाग और मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर डाल सकती हैं। तो, आइए आपको युवाओं की ऐसी सात आदतों के बारे में बताते हैं जो उन्हें बीमार बना रही हैं।
कई युवा पूरे दिन एक्टिव रहने के लिए एनर्जी ड्रिंक्स पर निर्भर रहते हैं। हालांकि, इन ड्रिंक्स में कैफीन, चीनी और स्टिमुलेंट्स की ज़्यादा मात्रा दिल की धड़कन बढ़ा सकती है, नींद खराब कर सकती है और बेचैनी बढ़ा सकती है। रेगुलर पीने से ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है और दिल पर ज़्यादा दबाव पड़ सकता है।
इसके अलावा, सुबह उठते ही पानी पीने या ठीक से खाना खाने के बजाय कॉफी या प्रोटीन शेक पीने की आदत आम हो गई है। इससे डिहाइड्रेशन होता है और पेट पर दबाव पड़ता है। खाली पेट कैफीन लेने से घबराहट और एसिडिटी भी हो सकती है।
कई युवा अपनी भूख के हिसाब से नहीं, बल्कि पैकेट या प्लेट के साइज़ के हिसाब से खाते हैं। बड़ी प्लेटें और टेकअवे बॉक्स ज़्यादा खाने को बढ़ावा देते हैं। इससे वज़न बढ़ने, फैटी लिवर, डायबिटीज़ और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
सादा पानी पीने के बजाय जूस या स्मूदी पर निर्भर रहना भी आपकी सेहत के लिए हानिकारक है। जूस और कई स्मूदी में फाइबर कम और चीनी ज़्यादा होती है। इससे ब्लड शुगर तेज़ी से बढ़ता है और जल्दी भूख लगने लगती है। पानी की कमी से थकान और कब्ज़ जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
वज़न कम करने या समय बचाने के लिए नाश्ता छोड़ना शरीर पर बुरा असर डालता है। इससे ध्यान लगाने में दिक्कत, चिड़चिड़ापन और बाद में ज़्यादा कैलोरी वाला खाना खाने की संभावना बढ़ सकती है। लंबे समय तक बिना खाना खाए रहने से ब्लड शुगर में भी गड़बड़ी हो सकती है।
पूरी तरह से ऑनलाइन फूड डिलीवरी या पैकेट वाले खाने पर निर्भर रहना भी सेहत के लिए एक बड़ा खतरा है। ऐसे खाने में नमक, चीनी और अनहेल्दी फैट ज़्यादा होता है, जबकि ज़रूरी पोषक तत्व कम होते हैं।
वहीं, ज़्यादा स्क्रीन टाइम से फिजिकल एक्टिविटी कम होती है और मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इससे आंखों में खिंचाव, गर्दन और पीठ की समस्याएं, नींद में दिक्कत और बेचैनी बढ़ सकती है। समय के साथ, यह आदत डिप्रेशन का कारण भी बन सकती है।








