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यूट्यूबर मनीष कश्यप आज जॉइन कर सकते हैं जन सुराज पार्टी, आखिर क्यों पीके की पार्टी के अलावा कोई और विकल्प नहीं दिख रहा सिंगर को?

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नमस्कार, आज की खबरों की दुनिया में आपका स्वागत है। आज की प्रमुख खबरों की बात करें तो ऑपरेशन सिंधु के तहत अब तक ईरान से 1700 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। 4 राज्यों की 5 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज आएंगे। गुजरात की 2, केरल-पंजाब और पश्चिम बंगाल की 1-1 सीट पर उपचुनाव हुए थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक में शामिल होने के लिए वाराणसी जाएंगे।

ओलंपियन ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लिया

ईरान के विदेश मंत्री आज रूस के दौरे पर रहेंगे, जहां वे मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात और बातचीत करेंगे। ओलंपियन ललित उपाध्याय ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया है। मोदीपुरम से सराय काले खां तक ​​नमो भारत ट्रेन का ट्रायल रन सफल रहा है। अब आईआईटी कानपुर में मेडिकल कोर्स भी कराया जाएगा। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल शुरू होने के बाद यहां एमबीबीएस कोर्स भी शुरू होने जा रहा है।

मनीष कश्यप आज जन सुराज पार्टी में शामिल हो सकते हैं

यूट्यूबर मनीष कश्यप आज प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में शामिल हो सकते हैं। मनीष कश्यप के साथ पीएमसीएच में मारपीट हुई थी, जिसके चलते उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद उन्होंने जन सुराज पार्टी के संस्थापक सदस्य और हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वाईवी गिरी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद उनके जन सुराज पार्टी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। चर्चा है कि आज वह पार्टी में शामिल हो सकते हैं। बिहार चुनाव नजदीक आ रहे हैं और नेताओं के राजनीतिक पर्यटन की रफ्तार भी अब तेज हो रही है। टिकट के दावेदारों ने अपनी मौजूदा पार्टियों में खतरा, पकड़ और स्थिति का आकलन करने के बाद वैकल्पिक ठिकानों की तलाश शुरू कर दी है। टिकट की दावेदारी कमजोर पड़ते देख, पार्टी को पर्याप्त समर्थन नहीं मिलते देख बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। इस लिस्ट में ताजा नाम यूट्यूबर मनीष कश्यप का है।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए मनीष कश्यप ने हाल ही में पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था। अब उनका जन सुराज में आना तय माना जा रहा है। मनीष कश्यप के बारे में खबर है कि वे 23 जून को आधिकारिक रूप से जन सुराजी बन जाएंगे। पश्चिमी चंपारण जिले के चनपटिया विधानसभा सीट से मनीष कश्यप का चुनावी मैदान में उतरना भी लगभग तय बताया जा रहा है। मनीष कश्यप राजनेता से ज्यादा यूट्यूबर के तौर पर जाने जाते हैं। वे 2020 में भी चनपटिया सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। 2020 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रहे मनीष कश्यप की दलीय राजनीति में यह दूसरा मौका होगा, लेकिन क्या वे जन सुराज और प्रशांत किशोर की राजनीति में टिक पाएंगे? यह सवाल बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया है।

क्या मनीष पीके की राजनीति में टिक पाएंगे?

चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की राजनीति युवा केंद्रित है। मनीष कश्यप भी युवा हैं और जाति-समुदाय की भावना से परे जाकर हर जाति-वर्ग के युवाओं के बीच लोकप्रिय भी हैं। मनीष कश्यप युवाओं, पलायन और लोगों से जुड़े मुद्दे भी उठाते हैं। पीके के जन सुराज का फोकस भी ऐसे मुद्दों पर है, जो लोगों को सीधे जोड़ते हैं। इन सब समानताओं के बावजूद प्रशांत किशोर और मनीष की राजनीति अलग-अलग है। मनीष कश्यप कई मुद्दों पर मुखर रहे हैं, जिनसे पीके और उनकी पार्टी दूरी बनाए रखती रही है। मनीष कश्यप की ‘जन सुराजी भविष्य’ पर सवाल सिर्फ विषमताओं की वजह से ही नहीं उठ रहे हैं।

मनीष पीके पर हमलावर भी रहे हैं। तीन महीने पहले मनीष कश्यप ने एक इंटरव्यू में पीके पर निशाना साधते हुए कहा था कि भले ही उन्हें कुशल रणनीतिकार माना जाता हो, लेकिन उनकी रणनीति हमेशा कारगर नहीं रही है। पीके सीमांचल में अवैध अतिक्रमण और जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर एक शब्द भी नहीं बोलते हैं। एमके स्टालिन जैसे नेताओं से जुड़ाव के बावजूद तमिलनाडु में हिंदी भाषा के अपमान पर वे चुप रहे। जन सुराज मनीष के लिए मजबूरी का नाम है? विज्ञापन बिहार के वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि मनीष कश्यप हमेशा अपने लिए राष्ट्रवादी, रूढ़िवादी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं। वे खुद कहते रहे हैं कि मेरी विचारधारा भाजपा से मिलती है और इसीलिए वे पार्टी में शामिल हुए। अब वे जन सुराज में शामिल होने जा रहे हैं, तो इसके पीछे टिकट की मजबूरी है। वे भाजपा के गढ़ चनपटिया सीट से टिकट मांग रहे थे। भाजपा में सीट स्तर पर सर्वे का काम पूरा हो चुका है।

उन्होंने आगे कहा कि जब मनीष को पीएमसीएच में बंधक बनाकर पीटा गया था, तब उन्हें भाजपा के किसी नेता का नैतिक समर्थन भी नहीं मिला था, टिकट का आश्वासन तो दूर की बात है। जब भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद खत्म हो गई, तो निर्दलीय भी हाथ आजमा चुके मनीष ने जन सुराज के संस्थापक सदस्यों में से एक वाईवी गिरी से मिलकर पार्टी में अपने लिए जगह तलाशनी शुरू कर दी। जन सुराज मनीष के लिए मजबूरी का नाम है। विधानसभा चुनाव के बाद इस पार्टी को छोड़ना तो दूर, अगर टिकट नहीं मिला, तो आगे भी टिक पाना मुश्किल है।

2020 में मनीष को कितने वोट मिले थे?

पिछले चुनाव में चनपटिया विधानसभा सीट पर बीज रहे एपी के उमाकांत सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया। तब निर्दलीय उम्मीदवार त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ ​​मनीष कश्यप तीसरे स्थान पर थे। तब मनीष को 9239 वोट मिले थे और उनका वोट शेयर 5.26 प्रतिशत था।

जिसने पहचान बनाई, उसी ने भाजपा से किनारा कर लिया

मनीष कश्यप की पहचान व्यवस्था पर सवाल उठाने के कारण बनी। मनीष ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और सड़कों, पुलों आदि की डिजाइन की खामियों को उजागर करने वाले यूट्यूबर के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे। व्यवस्था पर सवाल उठाने, कोर्ट में खड़े होने की यही आदत उनके भाजपा से किनारा करने का कारण भी बनी।

मनीष कश्यप 19 मई को पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) पहुंचे और मरीजों की समस्याओं को उठाया। मनीष की जूनियर महिला डॉक्टरों से तीखी नोकझोंक हुई और डॉक्टरों ने उन्हें बंधक बनाकर पीटा। स्वास्थ्य विभाग भाजपा कोटे के मंत्री मंगल पांडेय के अधीन है, इसलिए इस पूरे मामले में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी कन्नी काट गए। अपनी ही पार्टी के इस रवैये से आहत होकर मनीष को भाजपा से इस्तीफा देना पड़ा।

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