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योगिनी एकादशी व्रत कथा, इसको पढ़ने के बाद ही मिलेगा व्रत का संपूर्ण फल

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आज आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि पर योगिनी एकादशी का व्रत मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के कई जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे परम पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत के दौरान पूजा-पाठ और व्रत कथा का पाठ करना अत्यंत आवश्यक होता है, तभी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।

योगिनी एकादशी व्रत कथा

धार्मिक शास्त्रों में इस व्रत की महत्ता का वर्णन प्रमुखता से मिलता है। युधिष्ठिर ने भगवान वासुदेव से आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी के विषय में पूछा, तो श्रीकृष्ण ने बताया कि इस तिथि का नाम ‘योगिनी’ है, जो बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है। यह व्रत संसार सागर में डूबे प्राणियों के लिए सनातन नौका के समान है और तीनों लोकों में अत्यंत सारभूत माना जाता है।

कुबेर के यक्ष हेममाली की कथा

प्राचीन कथाओं के अनुसार, अलकापुरी के राजा कुबेर भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते थे। उनके सेवक यक्ष हेममाली का कर्तव्य था कि वह हर दिन मानसरोवर से फूल लेकर मंदिर में शिवजी की पूजा के लिए पहुंचता था। हेममाली की पत्नी विशालाक्षी अत्यंत सुंदर और उसकी बहुत आसक्ति थी। एक दिन हेममाली अपने घर में पत्नी के साथ व्यस्त हो गया और मंदिर में फूल नहीं पहुंचा पाया। कुबेर महाराज को जब यह ज्ञात हुआ, तो उन्होंने क्रोधित होकर हेममाली को कोढ़ का रोग देकर मंदिर से बाहर निकाल दिया। कोढ़ से पीड़ित हेममाली अत्यंत दुःखी होकर पर्वतों पर तपस्वी मुनि मार्कण्डेय के पास गया। मुनि ने उसकी पीड़ा समझी और उसे आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी।

योगिनी एकादशी के व्रत का महत्व

मुनि के आदेशानुसार हेममाली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया, जिससे उसका कोढ़ का रोग ठीक हो गया और वह पुनः स्वस्थ हो गया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे आठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है। योगिनी एकादशी व्रत को पढ़ने, सुनने और करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

व्रत कैसे करें?

योगिनी एकादशी के दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव तथा विष्णु की पूजा करते हैं। व्रत कथा का विधिपूर्वक पाठ करने के बाद ही यह व्रत पूर्ण माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। योगिनी एकादशी का व्रत धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पापों का अंत करने और पुण्य की प्राप्ति का साधन है। इस दिन व्रत करने वाले भक्तों को चाहिए कि वे कथा का पूर्ण पाठ करें और श्रद्धा से पूजा-अर्चना करें ताकि उनका जीवन सुख-शांति और समृद्धि से भर जाए।

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