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योगिनी-देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जानें आषाढ़ माह के व्रत-त्योहार और ग्रह गोचर की लिस्ट

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हिन्दू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ मास होता है, जो संधिकाल का महीना माना जाता है। इस महीने के आगमन से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है और वातावरण में नमी का प्रभाव दिखने लगता है। आषाढ़ मास का समय इस वर्ष 12 जून से 10 जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ मास का धार्मिक, सामाजिक और प्राकृतिक दृष्टि से विशेष महत्व है।

आषाढ़ मास का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

आषाढ़ का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ माना गया है। इस महीने भगवान श्री जगन्नाथ जी की प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली जाती है, जो देश भर में भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस मास में कामनाओं की पूर्ति का भी विशेष महत्व माना जाता है। इसके पहले दिन यानी आषाढ़ मास की प्रतिपदा को खड़ाऊं, छाता, नमक और आंवले का दान करना शुभ और फलदायी माना जाता है।

आषाढ़ मास में किसकी पूजा करें?

इस माह में कई देवताओं की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • गुरु देव की उपासना सबसे फलदायी मानी जाती है।

  • इसके अलावा देवी दुर्गा की पूजा भी अत्यंत शुभ फल देती है।

  • श्री हरि विष्णु की उपासना से संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है।

  • इस महीने में जल देव की पूजा करने से धन प्राप्ति में सुविधा होती है।

  • साथ ही मंगल और सूर्य देव की उपासना भी आवश्यक है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए लाभदायक मानी जाती है।

आषाढ़ मास के प्रमुख व्रत और त्यौहार

आषाढ़ मास कई धार्मिक व्रतों और त्योहारों का घर है। इस महीने के कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ और व्रत निम्नलिखित हैं:

  • 12 जून: आषाढ़ मास प्रारंभ, प्रतिपदा तिथि

  • 14 जून: कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी

  • 15 जून: मिथुन संक्रांति

  • 18 जून: मासिक जन्माष्टमी, कालाष्टमी

  • 21 जून: योगिनी एकादशी (साल का सबसे बड़ा दिन)

  • 22 जून: योगिनी एकादशी पारण, मासिक कार्तिगाई

  • 23 जून: सोम प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि

  • 24 जून: रोहिणी व्रत

  • 25 जून: दर्श अमावस्या, आषाढ़ अमावस्या

  • 26 जून: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, कलश स्थापना, चंद्र दर्शन

  • 27 जून: जगन्नाथ रथयात्रा

  • 28 जून: विनायक चतुर्थी

  • 30 जून: स्कंद षष्ठी

  • 3 जुलाई: मासिक दुर्गाष्टमी

  • 6 जुलाई: देवशयनी एकादशी, गौरी व्रत आरंभ

  • 7 जुलाई: देवशयनी एकादशी पारण, वासुदेव द्वादशी

  • 8 जुलाई: भौम प्रदोष व्रत, जयापार्वती व्रत

  • 9 जुलाई: आषाढ़ चौमासी चौदस

  • 10 जुलाई: गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत, व्यास पूजा, कोकिला व्रत, गौरी व्रत समाप्त

आषाढ़ मास में क्या न करें?

  • इस महीने में लहसुन और प्याज का अधिक सेवन वर्जित होता है।

  • बारिश के मौसम में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए बासी भोजन का सेवन न करें।

  • देवशयनी एकादशी के बाद शुरू होने वाले चातुर्मास काल में विवाह-संबंधी जैसे शुभ कार्य और मांगलिक कार्यों से परहेज करना चाहिए।

आषाढ़ मास में प्राकृतिक और सामाजिक प्रभाव

आषाढ़ मास के साथ ही वर्षा ऋतु का आगमन होता है, जिससे पर्यावरण में नमी बढ़ जाती है और हरियाली छा जाती है। इस महीने में खेती-किसानी के लिए भी विशेष महत्व है क्योंकि वर्षा से फसलों को पानी मिलता है और जीवन में समृद्धि आती है।

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