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राजस्थान की एक रहस्यमयी दास्तान… यहां बुलेट को देवता मानकर होती है पूजा, मान्यताएं जानकर रह जाएंगे दंग!

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राजस्थान के पाली जिले और जयपुर के करीब किशनगढ़ रेनवाल कस्बे में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जो भक्ति और लोकश्रद्धा का अद्भुत उदाहरण है। यह मंदिर पारंपरिक देवताओं के बजाय बुलेट मोटरसाइकिल की पूजा के लिए जाना जाता है। पाली जिले में बुलेट बाबा मंदिर तो प्रसिद्ध है ही, साथ ही किशनगढ़ रेनवाल में भी ‘ओम बन्ना’ नाम से एक चमत्कारी मंदिर स्थापित है, जहाँ बुलेट बाइक को देवता की तरह पूजा जाता है।

बुलेट बाबा मंदिर की अनोखी श्रद्धा

ओम बन्ना मंदिर मुख्य हाइवे के किनारे स्थित है, और यहां की खास बात यह है कि यहां से गुजरने वाले ट्रक ड्राइवर और अन्य राहगीर मोटरसाइकिल के सम्मान में हॉर्न बजाकर जाते हैं। यह मान्यता है कि ओम बन्ना की बाइक की पूजा-अर्चना से यात्रियों की यात्रा सुरक्षित होती है। मंदिर में रोजाना दो बार आरती, अगरबत्ती और श्रृंगार किया जाता है, बिलकुल वैसे ही जैसे किसी भगवान की पूजा होती है।

भक्त इस मंदिर में नारियल लेकर आते हैं और बुलेट बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यहां स्थानीय लोगों की गहरी आस्था और प्यार भी देखने को मिलता है।

ओम बन्ना की कहानी

मंदिर के पुजारी के अनुसार, ओम बन्ना का असली नाम ओम सिंह राजपूत था। उनका जन्म पाली जिले के चोटिला गांव में हुआ था। वे जोगसिंह राठौड़ के पुत्र थे और अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। ओम सिंह को बाइक चलाने का बहुत शौक था और उन्होंने अपने लिए एक रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिल खरीदी थी।

एक दिन, ओम बन्ना अपनी बाइक पर अपनी पत्नी से मिलने निकले, लेकिन रास्ते में उनकी बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई और वे मौके पर ही अपनी जान गंवा बैठे। मगर उनकी मौत के बाद भी उस बाइक को लेकर कई चमत्कार की कहानियां सामने आईं। कहा जाता है कि बाइक खुद-ब-खुद चालू हो जाती थी या अचानक कहीं भी खड़ी हुई रहती थी।

लोकश्रद्धा और चमत्कार

ओम बन्ना की बाइक के प्रति इस श्रद्धा ने धीरे-धीरे इस बाइक को एक लोक देवता के रूप में स्थापित कर दिया। स्थानीय लोगों का मानना है कि ओम बन्ना की आत्मा उनकी बाइक के साथ मौजूद है और वह यहां से गुजरने वालों की रक्षा करते हैं। इसलिए यहां आए हुए श्रद्धालु बाइक की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।

इस मंदिर की खास बात यह भी है कि पाली जिले के अलावा किशनगढ़ रेनवाल कस्बे के पास भी इस प्रकार का मंदिर है, जहां बुलेट बाबा की पूजा होती है। यह दोनों मंदिर राजस्थान में अपनी अनूठी परंपरा और श्रद्धा के लिए प्रसिद्ध हैं।

सुरक्षा और आस्था का प्रतीक

मोटरसाइकिल को पूजा के रूप में स्थापित करने का यह तरीका स्थानीय आस्था और उनकी सुरक्षा के प्रति विश्वास को दर्शाता है। ट्रक ड्राइवर और यात्री इस मंदिर के पास से गुजरते समय हॉर्न बजाते हैं, जिससे यात्राओं में होने वाले दुर्घटनाओं से बचाव का संदेश मिलता है।

ओम बन्ना मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि राजस्थान की संस्कृति, लोक विश्वास और लोगों के जज्बे का प्रतीक बन गया है। यह मंदिर यह भी बताता है कि कैसे परंपराओं में नए रूप और आधुनिकता को मिलाकर अनोखी श्रद्धा उत्पन्न हो सकती है।

यह कहानी राजस्थान की लोककथाओं और आस्था की झलक प्रस्तुत करती है, जहां बुलेट मोटरसाइकिल भी एक देवता के रूप में पूजा का पात्र बन गई है। ओम बन्ना मंदिर की यह लोकश्रद्धा यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए हमेशा एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है।

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