क्रिकेट न्यूज डेस्क।। लंदन का लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड दुनिया के सबसे खूबसूरत मैदानों में से एक है। इसे ‘क्रिकेट का मक्का’ भी कहा जाता है। यहां खेलना खिलाड़ियों का सपना भी होता है। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025 का फाइनल साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जा रहा है। इस मैदान का दर्जा क्रिकेट जगत में सबसे ऊंचा है। आइए आपको इस हाई-प्रोफाइल ग्राउंड के इतिहास के बारे में बताते हैं।
लॉर्ड्स स्टेडियम का नाम किसके नाम पर रखा गया?
लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड, जिसे आमतौर पर लॉर्ड्स के नाम से जाना जाता है। यह सेंट जॉन्स वुड, वेस्टमिंस्टर में स्थित है। इसका नाम इसके संस्थापक थॉमस लॉर्ड के नाम पर रखा गया है। इस स्टेडियम का स्वामित्व मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के पास है।
आज का लॉर्ड्स स्टेडियम अपने मूल स्थान पर नहीं है। यह लॉर्ड द्वारा 1787 और 1814 के बीच बनाए गए तीन मैदानों में से तीसरा है। उनका पहला मैदान, जिसे अब लॉर्ड्स ओल्ड ग्राउंड के नाम से जाना जाता है, वह अब डोरसेट स्क्वायर की जगह पर था। उनका दूसरा मैदान, लॉर्ड्स मिडिल ग्राउंड, 1811 से 1813 तक इस्तेमाल किया गया था। इसे छोड़ना पड़ा क्योंकि रीजेंट की नहर इसके आउटफील्ड के माध्यम से बनाई जानी थी।
वर्तमान लॉर्ड्स ग्राउंड मिडिल ग्राउंड की साइट से लगभग 250 गज (230 मीटर) उत्तर-पश्चिम में है। इस मैदान की क्षमता 31,100 है। MCC की चल रही पुनर्विकास योजनाओं के हिस्से के रूप में 2017 और 2022 के बीच इसकी क्षमता बढ़ाई गई थी।
लॉर्ड्स में पहला अंतरराष्ट्रीय मैच कब खेला गया था?
पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 21 जुलाई 1884 को इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया था। यह एक टेस्ट मैच था जो 23 जुलाई 1884 को समाप्त हुआ था। इंग्लैंड ने यह मैच एक पारी और 5 रन से जीता था। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 229 रन पर ऑल आउट हो गया था। इसके बाद इंग्लैंड ने पहली पारी में 379 रन बनाए। जवाब में ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में 145 रन पर ऑल आउट हो गया।