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लॉर्ड्स में कहां हुई भारतीय टीम से चूक, स्मृति मंधाना ने इन पर फोड़ा हार का ठीकरा

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इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे वनडे में हार के बाद, भारतीय महिला टीम की अनुभवी बल्लेबाज़ स्मृति मंधाना ने माना कि भारतीय खिलाड़ी लॉर्ड्स मैदान की मुश्किल परिस्थितियों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाईं। उन्होंने कहा कि बल्लेबाज़ों ने समझदारी भरे शॉट नहीं खेले। बता दें कि शनिवार को इंग्लैंड की महिला टीम ने तीन मैचों की वनडे सीरीज़ के दूसरे मैच में भारत को आठ विकेट से हरा दिया। इस जीत के बाद इंग्लैंड ने सीरीज़ 1-1 से बराबर कर ली।

‘भारतीय टीम 29 ओवर में आठ विकेट पर 143 रन ही बना सकी’

इस मैच में भारतीय महिला टीम की उप-कप्तान मंधाना (42) और दीप्ति शर्मा (नाबाद 30) को छोड़कर कोई भी भारतीय बल्लेबाज़ इंग्लैंड के गेंदबाज़ों को चुनौती देने में नाकाम रही। भारतीय टीम 29 ओवर में आठ विकेट पर 143 रन ही बना सकी। मंधाना ने मैच के बाद कहा, ‘मुझे लगता है कि एक बल्लेबाज़ी इकाई के तौर पर हम परिस्थितियों के साथ जल्दी तालमेल नहीं बिठा पाए। हमने कुछ ऐसे शॉट खेलने की कोशिश की जो लॉर्ड्स जैसी पिच पर शायद आसान नहीं थे।’

‘हम कुछ पहलुओं में बेहतर कर सकते थे’

मंधाना ने स्वीकार किया कि मैच शुरू होने से पहले बारिश के कारण मिले लंबे ब्रेक ने खिलाड़ियों की एकाग्रता को प्रभावित किया। उन्होंने आगे कहा, ‘बारिश से प्रभावित मैच में ध्यान केंद्रित करना हमेशा बहुत मुश्किल होता है। हमें मैच शुरू होने के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ा। ऐसे मैचों में अगर टॉस आपके पक्ष में न हो, तो मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। यह हम सभी के लिए एक कठिन चुनौती थी। हम कुछ पहलुओं में बेहतर कर सकते थे।’

‘लॉर्ड्स में पहली बार खेलने का मौका मिलना’
बल्लेबाज ने कहा कि लॉर्ड्स में रन बनाना हमेशा एक मुश्किल काम होता है और उनकी टीम कुछ महत्वपूर्ण सबक लेकर लौटेगी। उन्होंने कहा, ‘कई खिलाड़ियों को पहली बार लॉर्ड्स में खेलने का मौका मिला। उत्साह बहुत ज़्यादा था। इसलिए मुझे यकीन है कि इनमें से कई खिलाड़ियों ने बहुत कुछ सीखा होगा।’ भारत 2017 में इसी मैदान पर इंग्लैंड से विश्व कप फाइनल हार गया था। यह मैच नौ रनों से हारने के बावजूद, इसके बाद टीम के प्रदर्शन का ग्राफ ऊपर चला गया। मंधाना ने कहा कि भारत में महिला क्रिकेटरों के लिए पिछले आठ साल काफी अच्छे रहे हैं। उन्होंने कहा, “महिला क्रिकेट, खासकर भारत में, 2017 के बाद काफी बदल गया है। हम सभी उस दिन जीत न पाने से बहुत निराश थे, लेकिन जब हम भारत लौटे तो हमारा स्वागत हीरो की तरह हुआ। सभी ने महिला क्रिकेट के बारे में बहुत कुछ सीखना शुरू किया। पिछले आठ सालों से, हम जहाँ भी खेलते हैं, स्टेडियम में मौजूद भारतीय प्रशंसकों की संख्या हमें ऐसा एहसास कराती है जैसे हम अपने घरेलू मैदान पर खेल रहे हों। लोग हमें देखने आते हैं, हमारी आलोचना करते हैं, हमारी तारीफ करते हैं, जो सब अच्छा है क्योंकि इससे क्रिकेट को बढ़ावा मिल रहा है।”

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