भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के नतीजे आ गए हैं। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज (1 अक्टूबर) घोषणा की कि रेपो रेट में किसी भी तरह के बदलाव का कोई ऐलान नहीं किया गया है। यह फैसला 29 सितंबर से शुरू हुई MPC मीटिंग में लिया गया है। इस घोषणा से स्पष्ट होता है कि बैंकों द्वारा लिए गए आपके लोन की EMI (मासिक किस्त) पर कोई भी बदलाव नहीं होगा। अगस्त के बाद, अक्टूबर की इस बैठक में भी रेपो रेट की दर 5.5% पर स्थिर रखी गई है। हालांकि, इससे पहले इसी वर्ष तीन बार रेपो दरों में कटौती की जा चुकी थी।
MPC बैठक के मुख्य बिंदु
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में यह बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चली। इसमें MPC के कुल छह सदस्यों ने भाग लिया। मीटिंग के परिणामों की घोषणा प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई।
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रेपो रेट स्थिर: रेपो रेट की दर को 5.50% पर बरकरार रखा गया है।
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लगातार दूसरी बार स्थिरता: अगस्त की मीटिंग के बाद यह लगातार दूसरी बार है जब रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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पिछली कटौती: रेपो रेट में अंतिम कटौती जून में की गई थी। इस वर्ष फरवरी, अप्रैल और जून में हुई MPC मीटिंग्स में कटौती का फैसला लिया गया था।
लोन और EMI पर असर
रेपो रेट में बदलाव न होने से आम उपभोक्ताओं को, खासकर होम लोन लेने वालों को, तत्काल कोई राहत नहीं मिलेगी।
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EMI स्थिर: आरबीआई ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है, इसलिए मौजूदा और नई लोन की ब्याज दरें स्थिर रहेंगी। इसका सीधा मतलब है कि आपकी मासिक कर्ज का बोझ वही रहेगा और EMI में कोई कमी नहीं आएगी।
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आर्थिक फायदा नहीं: रेपो रेट में कटौती से मिलने वाला संभावित आर्थिक फायदा (त्योहारों या अन्य मौकों पर) फिलहाल टल गया है।
यदि रेपो रेट की दरों में कटौती होती, तो यह इस वर्ष की चौथी कटौती हो सकती थी। लेकिन फिलहाल, रेपो रेट की दर 5.50% पर बरकरार रखी गई है, जिससे अक्टूबर की मीटिंग कटौती की कड़ी में शामिल नहीं हो पाई है।