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वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारतीय कंपनियों की वृद्धि दर 7-8 प्रतिशत रहने की उम्मीद

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नई दिल्ली, 24 फरवरी (आईएएनएस)। ग्रामीण मांग में सुधार और सरकारी खर्च में तेजी के कारण भारतीय कंपनियों को चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही) में 7-8 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि की उम्मीद है। यह जानकारी सोमवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

आईसीआरए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली तिमाही में भारतीय कंपनियों के परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) में सुधार 18.2-18.4 प्रतिशत पर बरकरार रहने की संभावना है।

इसे मांग में वृद्धि और उपभोक्ता भावनाओं में सुधार से मदद मिलेगी।

हालांकि, इसमें कहा गया है कि उभरती वैश्विक अनिश्चितताओं, खासकर व्यापार शुल्कों जैसी चुनौतियों से विकास के स्तर पर असर पड़ सकता है।

हाल ही में रेपो दर में कटौती के कारण ब्याज लागत में कमी के साथ, इससे भारतीय कंपनियों के लिए ब्याज कवरेज अनुपात में मामूली वृद्धि होगी, जो कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 4.6-4.7 गुना हो जाएगा, जबकि वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में यह 4.5 गुना था।

आईसीआरए लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सह-समूह प्रमुख-कॉर्पोरेट रेटिंग किंजल शाह ने कहा, “अधिकांश खरीफ फसलों के लिए मजबूत उत्पादन और चालू रबी सीजन के लिए अनुकूल दृष्टिकोण से सहायता प्राप्त, वर्ष 2025 की पहली छमाही में ग्रामीण मांग में तेजी आने की उम्मीद है।”

इसके अलावा, कृषि परिणामों का समर्थन करने के लिए 2025 में एक सामान्य और अच्छा मानसून जरूरी है।

उन्होंने आगे कहा कि पिछली कुछ तिमाहियों में सुस्ती के बाद, शहरी मांग में सुधार की उम्मीद है, जिसे केंद्रीय बजट 2025 में आयकर में बड़ी राहत, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक छूट और खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी की उम्मीदों से मदद मिलेगी।

वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य का विकास, विदेशी मुद्रा दरों में उतार-चढ़ाव, नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का प्रभाव, सरकारी खर्च में तेजी और घरेलू शहरी मांग में सुधार निकट भविष्य में निगरानी योग्य बने रहेंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमी-कंडक्टर जैसे कुछ उभरते क्षेत्र और ऑटोमोटिव स्पेस में इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे सेगमेंट में सरकार द्वारा घोषित विभिन्न उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन कार्यक्रमों के अनुरूप निवेश में वृद्धि जारी रहेगी।

–आईएएनएस

एसकेटी/सीबीटी

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