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वित्त वर्ष 2026 में हेडलाइन मुद्रास्फीति औसतन 4 प्रतिशत रहने का अनुमान : क्रिसिल

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नई दिल्ली, 13 जून (आईएएनएस)। क्रिसिल की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति की वर्तमान प्रवृत्ति को देखते हुए वित्त वर्ष 2026 में हेडलाइन मुद्रास्फीति औसतन 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 4.6 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट में पूर्वानुमान लगाया गया है कि कम मुद्रास्फीति के कारण भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अब तक घोषित 100 आधार अंकों की कटौती के अलावा एक और रेपो रेट में कटौती की संभावना बनी हुई है।

खाद्य मुद्रास्फीति में जारी गिरावट की वजह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति इस वर्ष मई में घटकर 2.8 प्रतिशत रह गई, जो फरवरी 2019 के बाद सबसे कम है। इस वर्ष अप्रैल में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 3.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

फ्यूल और कोर मुद्रास्फीति में भी नरमी आई। खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल के 1.8 प्रतिशत से घटकर मई में 1 प्रतिशत रह गई, जो अक्टूबर 2021 के बाद सबसे कम है। ईंधन मुद्रास्फीति रुझान को उलटते हुए 2.9 प्रतिशत से कम होकर 2.8 प्रतिशत हो गई।

अप्रैल में कोर मुद्रास्फीति 4.23 प्रतिशत से घटकर मई में 4.18 प्रतिशत हो गई। कोर मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत के अपने रुझान स्तर (दशकीय औसत से मापी गई) से नीचे रही।

खाद्य पदार्थों में दालों, सब्जियों और मसालों में अपस्फीति देखी गई, जबकि अनाज में कम महंगाई दर्ज की गई।

पिछले सप्ताह जारी क्रिसिल इंटेलिजेंस के अनुसार, मई में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थालियों की कीमत में सालाना आधार पर 6 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसका मुख्य कारण सब्जियों की कम कीमत था।

कृषि मंत्रालय के तीसरे एडवांस अनुमान ने रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन के साथ रबी की मजबूत फसल का संकेत दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) के 106 प्रतिशत के सामान्य से अधिक मानसून का अनुमान लगाया है। आगामी खरीफ सीजन पर बारिश का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”

दोनों ही उपाय इस वित्त वर्ष में खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखेंगे, बशर्ते मानसून में कोई व्यवधान न हो।

हालांकि जून में मानसून की गति कुछ कम हुई है और पूरे भारत में कुल वर्षा एलपीए की 34 प्रतिशत कम रही है, लेकिन जुलाई और अगस्त में होने वाली बारिश खरीफ फसलों के लिए सबसे अधिक मायने रखती है।

रिपोर्ट के अनुसार, एनर्जी फ्रंट पर भू-राजनीतिक तनावों का कोई स्थायी प्रभाव न होने की स्थिति में, ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें नरम रहने का अनुमान है, जो चालू कैलेंडर वर्ष में 65 से 70 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेगी, जिससे गैर-खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

–आईएएनएस

एसकेटी/

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