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वित्त वर्ष 2027 में भारत में इलेक्ट्रिक बसों की बिक्री में 15 प्रतिशत की होगी वृद्धि : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 2027 में देश में इलेक्ट्रिक बसों की वार्षिक बिक्री 17,000 यूनिट से अधिक होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024 में कुल बस बिक्री से लगभग 15 प्रतिशत अध‍िक है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

भारत में सालाना बस रजिस्ट्रेशन में इलेक्ट्रिक बसों की हिस्सेदारी 4 प्रतिशत है, वित्त वर्ष 2024 में 3,644 यूनिट बिकीं, जो सालाना आधार पर 81 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, क्लीन फ्यूल में ट्रांजिशन के कारण पारंपरिक डीजल और पेट्रोल बसों की बाजार हिस्सेदारी एक दशक पहले के 97-98 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 90 प्रतिशत रह गई है।

केयरएज रेटिंग्स की एसोसिएट डायरेक्टर आरती रॉय ने कहा, “अभी तक ई-बसों की पहुंच कुछ बड़े शहरों तक ही सीमित थी, लेकिन धीरे-धीरे ई-बसों को और अधिक शहरों में शुरू किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे देश में ई-बसों को अपनाए जाने की उम्मीद है।”

अलग-अलग नीतिगत पहलों के जरिए सरकारी समर्थन भी प्रदर्शित किया गया है, जिसके निकट भविष्य में जारी रहने की उम्मीद है।

भारत में इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की संभावना काफी अधिक है, यहां प्रति मिलियन लोगों पर केवल छह ई-बसें हैं, जबकि विश्व औसत 85 है।

वर्तमान में, ई-बसों को अपनाना कुछ राज्यों और शहरों तक ही सीमित है, लेकिन मध्यम अवधि में व्यापक रूप से अपनाए जाने से बिक्री में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ई-बस निर्माण की काफी क्षमता है, जिसके तहत पांच कंपनियों की ई-बस बाजार हिस्सेदारी 85 प्रतिशत से अधिक है, जिनकी कुल ई-बस निर्माण क्षमता प्रति वर्ष 40,500 है।

इसके अलावा, हाल के दिनों में कई स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (एसटीयू) द्वारा आयोजित नीलामी के कारण उनके पास काफी बड़ा बकाया ऑर्डर बुक है।

एसटीयू द्वारा बसों की सीधी खरीद की तुलना में ग्रोस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी) मॉडल के विकास से ई-बसों को अपनाने में तेजी आने की उम्मीद है; हालांकि, पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म के रूप में निवारक उपायों की मौजूदगी के बावजूद अधिकतर एसटीयू की कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण कुछ चिंताएं बनी हुई हैं।

इसके अलावा, एसी ई-बस के लिए स्वामित्व की कुल लागत (टीसीओ) 12 साल की अवधि में एसी डीजल बसों की तुलना में लगभग 15-20 प्रतिशत कम है, जो इसे लंबी अवधि में एक आकर्षक प्रस्ताव बनाती है।

रिपोर्ट में कहा गया है, पीएम ई-बस सेवा और पीएम ई-ड्राइव के माध्यम से सरकार की मजबूत नीति के कारण, देश में ई-बसों की वार्षिक बिक्री मात्रा में और अधिक वृद्धि होने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एसकेटी/सीबीटी

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