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वीडियो में जाने पुराने ज़माने के प्रेम और मॉडर्न लव में अंतर ? जाने खतों के जमाने से चैट और स्टोरी तक कितना बदला प्रेम ?

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समय के साथ हर चीज़ में बदलाव आता है – चाहे वो समाज हो, जीवनशैली हो या फिर प्रेम। जहां एक समय में प्रेम को चुपचाप महसूस किया जाता था, वहीं आज के दौर में प्रेम को खुलेआम ज़ाहिर किया जाता है। पुराने जमाने का प्रेम और मॉडर्न जमाने का प्रेम – दोनों का स्वरूप, तरीका, गहराई और सामाजिक स्वीकार्यता में ज़मीन-आसमान का फर्क देखा जा सकता है।


संवाद नहीं, सच्ची समझ थी पहले के प्रेम में

पुराने समय में प्रेम मौन रहता था, लेकिन उसकी गहराई बेमिसाल होती थी। प्रेमी-प्रेमिका अक्सर खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते थे, लेकिन उनकी आंखों की भाषा, छोटे इशारे और आत्मिक जुड़ाव ही सच्चे प्रेम का प्रमाण हुआ करते थे। प्रेम का इज़हार खतों के ज़रिए होता था, जिन्हें छुपाकर पढ़ना और संजोकर रखना एक अलग ही सुख देता था। रिश्तों में एक ठहराव, एक इंतज़ार और एक सच्ची आस होती थी।आज के प्रेम में बातचीत की कोई कमी नहीं, लेकिन अक्सर गहराई का अभाव दिखता है। मोबाइल, चैटिंग, वीडियो कॉल और सोशल मीडिया ने संवाद को तो बढ़ाया है, लेकिन असली जुड़ाव कहीं न कहीं कम होता चला गया है। प्रेम का इज़हार इंस्टाग्राम स्टोरी या व्हाट्सएप स्टेटस में होता है, लेकिन अक्सर वह जल्द ही फीका भी पड़ जाता है।

संस्कार बनाम स्वतंत्रता
पुराने समय के प्रेम में समाज और परिवार की सीमाएं तय थीं। लोग अपने प्रेम को सामाजिक और पारिवारिक दायरे में निभाने का प्रयास करते थे। प्रेम में त्याग, समझ और इंतज़ार जैसे तत्व बहुत महत्वपूर्ण माने जाते थे। प्रेमी युगल अक्सर वर्षों तक एक-दूसरे के इंतजार में समय बिता देते थे, बिना किसी शिकायत के।वहीं मॉडर्न प्रेम में स्वतंत्रता की भावना हावी हो गई है। आज की पीढ़ी अपने फैसले खुद लेना चाहती है, जिसमें प्रेम भी शामिल है। आज लोग अपने प्रेम को खुलकर स्वीकारते हैं, जो एक सकारात्मक परिवर्तन है, लेकिन इसके साथ ही रिश्तों में धैर्य, त्याग और स्थायित्व की भावना पहले जैसी नहीं रही। ब्रेकअप और पैचअप आज की लव लाइफ का आम हिस्सा बन चुके हैं।

प्रेम में तकनीक की एंट्री
एक समय था जब प्रेम खतों के जरिए, ताजमहल जैसे प्रेम-प्रतीकों के जरिए ज़िंदा रहता था। प्रेम गीत, मुलाकातें और छोटी-छोटी बातों में ही एक पूरी दुनिया बस जाती थी। अब प्रेम में तकनीक का दखल बढ़ गया है। डेटिंग ऐप्स, सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैटिंग ने प्रेम की शुरुआत को आसान बना दिया है, लेकिन इससे रिश्तों की गंभीरता और स्थायित्व पर असर पड़ा है।आज की पीढ़ी तेज़ी से रिश्ते बनाती है और उतनी ही तेजी से तोड़ भी देती है। कहीं न कहीं, प्रेम में भावनात्मक निवेश की जगह तात्कालिक सुख ने ले ली है। पुराने समय में लोग रिश्तों को निभाने की ज़िम्मेदारी लेते थे, आज लोग अपनी “स्पेस” के नाम पर रिश्ता छोड़ने से भी नहीं कतराते।

पहले का प्रेम – ताजिंदगी, अब का प्रेम – ट्रायल पर
एक बड़ा अंतर यह भी है कि पहले लोग प्रेम को जीवन भर निभाने का वचन लेते थे। एक बार किसी से प्रेम हो गया तो उसे ही जीवनसाथी बना लेने की कोशिश होती थी। आज प्रेम में ‘कमिटमेंट फोबिया’ आम हो गया है। बहुत से लोग सिर्फ अनुभव या टाइमपास के लिए प्रेम में पड़ते हैं। वे तब तक रिश्ता निभाते हैं जब तक वह आसान होता है। कठिनाइयों या ज़िम्मेदारियों के आते ही रिश्ता छोड़ना उन्हें बेहतर विकल्प लगता है।

फैसला कौन सा सही?
इस तुलना का मतलब यह नहीं कि पुराने समय का प्रेम श्रेष्ठ था और आज का प्रेम खराब है। हर समय की अपनी चुनौतियाँ और खूबियाँ होती हैं। जहां पुराने प्रेम में गहराई और त्याग था, वहीं आज के प्रेम में पारदर्शिता और समानता की भावना है। आज की युवा पीढ़ी अपने प्रेम के अधिकार को लेकर सजग है और सामाजिक बंधनों को चुनौती देती है – जो प्रगतिशील सोच को दर्शाता है।पर ज़रूरत इस बात की है कि दोनों युगों की अच्छाइयों को साथ लेकर चला जाए। पुराने प्रेम की गहराई और नए प्रेम की स्पष्टता अगर एक साथ हो, तो रिश्ते और भी सुंदर और मजबूत बन सकते हैं।

प्रेम कोई एक रंग नहीं, बल्कि समय के साथ बदलता हुआ एहसास है। पुराने ज़माने का प्रेम जहां सादगी, शालीनता और आत्मीयता से भरा था, वहीं आज का प्रेम तेज़, खुला और व्यक्तिगत पसंद पर आधारित है। फर्क ज़रूर है, लेकिन उद्देश्य एक ही – सच्चे और भरोसेमंद रिश्ते की तलाश। बस राहें अलग-अलग हैं।अगर आज की पीढ़ी प्रेम में धैर्य, समझ और आत्मीयता को फिर से जगह दे सके, तो शायद वो प्रेम भी उतना ही अमर और स्थायी बन सके जितना कभी पहले हुआ करता था।

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