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शनि जयंती के दिन जरूर करें ये काम, साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे दोष का प्रभाव होगा कम

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हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है, जिसे शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शनि देव का जन्म हुआ था। शनि जयंती का दिन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्टों में कमी आती है। इस वर्ष शनि जयंती 27 मई 2025 को मनाई जाएगी।

शनि जयंती का धार्मिक महत्व

शनि देव को न्याय का कारक और कर्मों के अनुसार फल देने वाला ग्रह माना जाता है। उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के परिणाम ला सकता है। विशेषकर शनि दोष जैसे साढ़ेसाती और ढैय्या जीवन में बाधाएं, आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक तनाव उत्पन्न करते हैं। शनि जयंती के दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान इन दोषों को कम करने में सहायता करते हैं।

शनि जयंती पर किए जाने वाले शुभ कार्य

शनि जयंती के दिन निम्नलिखित उपायों और पूजा-पाठ से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाले कष्ट कम होते हैं:

  1. शनि मंदिर में सरसों का तेल और काले तिल का दान: शनि देव को सरसों का तेल और काला तिल अर्पित करने से उनकी कृपा मिलती है और शनि दोषों का नाश होता है। श्रद्धालु विशेषकर सूर्य पुत्र शनि देव को ये वस्तुएं चढ़ाते हैं।

  2. पीपल वृक्ष की पूजा: सुबह पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना और शाम को सरसों तेल का दीपक जलाना शनि दोष दूर करने के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। माना जाता है कि पीपल वृक्ष भगवान शनि का प्रिय है।

  3. हवन, होम और यज्ञ का आयोजन: जिनकी कुंडली में साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव है, वे शनि जयंती के दिन शनि हवन-यज्ञ करवाएं। इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में शांति आती है।

  4. शनि तैलाभिषेकम और शांति पूजा: शनि तैलाभिषेकम का अनुष्ठान करना और शनि शांति पूजा कराना शनि दोषों को कम करने का सर्वोत्तम उपाय माना जाता है। ये अनुष्ठान शनि जयंती के दिन विशेष रूप से प्रभावशाली होते हैं।

  5. दान पुण्य: शनि देव की प्रसन्नता के लिए इस दिन सरसों तेल, काले तिल, उड़द की दाल, लोहे की वस्तुएं, जूते-चप्पल, भोजन और वस्त्र गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। दान से शनि देव की कृपा बनी रहती है और जीवन में समृद्धि आती है।

  6. हनुमान जी की पूजा: शनि दोषों से बचने के लिए हनुमान जी की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए। शनि जयंती पर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि हनुमान जी शनि देव के प्रकोप को कम करने वाले देवता हैं।

निष्कर्ष

शनि जयंती न केवल एक धार्मिक पर्व है बल्कि जीवन में शनि दोषों से मुक्ति पाने का अवसर भी है। श्रद्धालु इस दिन व्रत, पूजा, दान और हवन-यज्ञ कर शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। विशेषकर साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव से परेशान लोग शनि जयंती के दिन किए गए उपायों से अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि ला सकते हैं। इसलिए इस ज्येष्ठ अमावस्या को विशेष श्रद्धा और आस्था के साथ मनाना चाहिए ताकि भगवान शनि की विशेष कृपा बनी रहे।

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