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शराब, मोबाइल रिचार्ज जैसी डिमांड…Dial 108 कॉल सेंटर को लोगों ने बनाया मजाक

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“नमस्ते! हम 108 से बात कर रहे हैं। माफ़ कीजिए श्रीमान जी, यहाँ रिचार्ज सेवा उपलब्ध नहीं है। अगर आपको 108 आपातकालीन सेवा चाहिए, तो हमें बताएँ, माफ़ कीजिए, रिचार्ज सेवा उपलब्ध नहीं है।” 108 कॉल सेंटर पर रोज़ाना ऐसे कई कॉल आ रहे हैं। डायल 108 एक आपातकालीन नंबर है, जो किसी घायल व्यक्ति के लिए जीवन रेखा है। लेकिन ज़रा सोचिए, जब कोई इस नंबर का दुरुपयोग करता है, शराब मँगवाता है या रिचार्ज के लिए एम्बुलेंस बुलाता है, तो क्या वह सिर्फ़ नंबर का दुरुपयोग कर रहा है या किसी की जान से खिलवाड़ कर रहा है? मध्य प्रदेश के 108 कॉल सेंटरों में जो हो रहा है, वह चौंकाने वाला है, हर घंटे लगभग 200 फ़र्ज़ी कॉल आ रहे हैं।

एक घायल व्यक्ति उम्मीद से 108 पर कॉल करता है, लेकिन हमारे लोकतांत्रिक भारत में यह जुए, गाली-गलौज और गपशप का अड्डा भी बन गया है। कोई पूछता है – “भैया, शराब भेजोगे?” कोई आदेश देता है – “फ़ोन रिचार्ज कर दो!”
और कोई इतना भावुक होता है कि प्यार से एक ही नंबर से हज़ार बार कॉल करता है। कहने को तो ये 108 हेल्पलाइन है, लेकिन मध्य प्रदेश में ये मनोरंजन 108 बन गया है। यहाँ हर दिन लगभग 4400 लोग इस नंबर पर शिकायत करते हैं। किसी को दिल का दौरा तो नहीं पड़ा। लेकिन हर कॉल में सिस्टम पर हमला ज़रूर होता है।

साइलेंट कॉल भी आते हैं: वरिष्ठ प्रबंधक 108 सेवा

डायल 108 सेवा के वरिष्ठ प्रबंधक तरुण परिहार कहते हैं कि “कुछ लोग बेवजह कॉल करके परेशान करते हैं, कुछ साइलेंट कॉल आते हैं, कई बच्चों वाले कॉल आते हैं। कुछ लोग फ़ोन पर अभद्र भाषा भी बोलते हैं। इस तरह हमारे कॉल सेंटर पर कई उपद्रवी कॉल आते हैं, जिससे आम नागरिक और कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों को परेशानी होती है, आम लोगों की परेशानी ज़्यादा होती है। अगर कोई किसी आपात स्थिति के लिए कॉल कर रहा है, तो सेवा व्यस्त हो सकती है। देखा गया है कि सुबह के समय उपद्रवी कॉल ज़्यादा आते हैं। सुबह के समय महिलाओं की शिफ्ट ज़्यादा होती है, इसलिए माना जा सकता है कि उन्हें गाली देने के लिए कॉल किए जाते हैं।”

डायल 108 एम्बुलेंस सेवा: कॉल सेंटर की तस्वीर

हर फ़र्ज़ी कॉल न सिर्फ़ फ़ोन को व्यस्त कर देती है, बल्कि किसी ज़रूरतमंद के लिए दरवाज़ा भी बंद कर देती है। दुर्घटना के बाद सबसे पहले की जाने वाली प्रतिक्रिया ही तय करती है कि किसी की जान बचेगी या नहीं। ऐसे में, अगर एम्बुलेंस एक मिनट भी देरी से पहुँचती है, तो किसी की जान जा सकती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के वरिष्ठ संयुक्त निदेशक डॉ. प्रभाकर तिवारी ने हमें बताया कि “एम्बुलेंस हमारी पहली प्रतिक्रिया होती हैं। दुर्घटना और आघात के मामलों में, हम आजकल गोल्डन ऑवर या प्लैटिनम 10 मिनट की बात करते हैं। जितनी जल्दी हमारी सेवाएँ उन तक पहुँचेंगी, उतनी ही जल्दी हम जान बचा पाएँगे। अगर एम्बुलेंस नहीं पहुँचती, तो व्यक्ति जल्दी में किसी दूसरे वाहन से जाने की कोशिश करता है, बिल्कुल।” एम्बुलेंस आमतौर पर जान बचाने के लिए काम करती हैं, अगर एम्बुलेंस एक मिनट भी देरी से पहुँचती है, तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।

सिवनी में कुछ ऐसा ही हुआ

मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के सालीवाड़ा गाँव में ग्रामीणों ने प्रशासन को हिलाने का नया तरीका निकाला – जहाँ सड़कें नहीं हैं, नालियाँ हैं और नालियों में पानी नहीं है, वहाँ प्रशासन की मंशा बहने की है। बारिश आई, सड़क बह गई। ग्रामीणों ने कागज़ात देने, ज्ञापन देने की बहुत कोशिश की, दौड़ते-भागते रहे, अफसरों की चप्पलें घिसीं। लेकिन सिस्टम इतना व्यस्त है कि सुनता ही नहीं।

ग्रामीणों ने ठान लिया- “अब ज्ञापन नहीं देखेंगे… अब तमाशा देखेंगे”। तो साहब… एक झूठी खबर फैला दी गई कि गाँव में एक गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम तुरंत एम्बुलेंस लेकर रवाना हो गई। लेकिन जैसे ही हम गाँव के पास पहुँचे, सामने बाढ़ से भरी, अधूरी नहर खड़ी थी, प्रशासन का निर्माण कार्य वहीं खड़ा था जहाँ 2019 में छोड़ा गया था।
टीम ने फ़ोन पर पूछा —
“बहनजी को उस पार ले आओ, हम नहीं आ सकते…”
तो उधर से जवाब आया —
“बहनजी ठीक हैं, दरअसल, बहनजी का दर्द… नहीं है…
हम आपका दर्द जगाना चाहते थे।”

और जैसे… वह “प्रसव पीड़ा” दरअसल प्रशासनिक असंवेदनशीलता की प्रसव पीड़ा निकली। अगले दिन जब पानी कम हुआ, तो टीम पैदल गाँव पहुँची, और पता चला कि यह सब एक प्रेरित शरारत थी।सवाल यह है कि फ़र्ज़ी कॉल क्यों आते हैं… सवाल यह भी है कि व्यवस्था इतनी बेजान क्यों है कि उसे जगाने के लिए लोगों को नाटक करना पड़ता है? कुछ लोग 108 को रेडियो स्टेशन समझ बैठे हैं। तो कहीं न कहीं गाँवों को प्रशासन को दिखाने के लिए थिएटर बनाना पड़ रहा है।

अब लोगों को समझना होगा कि 108 सिर्फ़ एक नंबर नहीं है, ये ज़िंदगी से जुड़ी सबसे ज़रूरी सेवा है, ये मौज-मस्ती या टाइमपास के लिए नहीं, बल्कि किसी की आखिरी उम्मीद के लिए है। ताकि जब कोई वाकई मुसीबत में हो, तो समय पर 108 पर कॉल करे और समय पर मदद मिले।

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