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शादी करना ही नहीं, बल्कि इसे रजिस्टर्ड करना भी जरूरी, जानें किन 6 लोगों का नहीं बन सकता है मैरिज सर्टिफिकेट

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भारत में विवाह महज एक रस्म नहीं है, बल्कि यह दो लोगों का जीवन भर साथ रहने का वादा है। हर धर्म में विवाह को पवित्र माना जाता है। आजकल शादियां सिर्फ सामाजिक और धार्मिक रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि लोग अब इसे कानूनी तौर पर भी वैध बना रहे हैं। लोग शादी के बाद उसे कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए उसका पंजीकरण कराते हैं। विवाहित जोड़े को विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज दिखाने होंगे। तब कहीं जाकर उन्हें विवाह प्रमाणपत्र मिलता है। लेकिन कई बार मन में यह सवाल उठता है कि कौन से लोग कानूनी तौर पर विवाह प्रमाण पत्र नहीं प्राप्त कर सकते हैं। दरअसल हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत भारत में विवाह को लेकर कुछ विशेष नियम और कानून हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। जो लोग इन शर्तों को पूरा नहीं करते हैं, वे कानूनी तौर पर विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं कर सकते।

कानूनी आयु सीमा से नीचे

भारत में विवाह की आयु निश्चित है। विवाह के लिए लड़के की आयु कम से कम 21 वर्ष और लड़की की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत यदि कोई लड़का या लड़की कम उम्र में विवाह करता है तो वह विवाह कानूनी रूप से वैध नहीं माना जाएगा। ऐसी स्थिति में विवाह का पंजीकरण संभव नहीं है।

पहले से विवाहित होना और जीवन साथी होना

भारत में आप तब तक दोबारा विवाह नहीं कर सकते जब तक कि पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त न हो जाए यानी तलाक न हो जाए। भारत में विभिन्न धर्मों में बहुविवाह प्रथा प्रचलित है, लेकिन कानूनी तौर पर केवल एक ही विवाह स्वीकार किया जाता है। अगर कोई बिना तलाक के दोबारा शादी करता है तो उसे अवैध माना जाता है। उस विवाह का विवाह प्रमाण पत्र नहीं बनाया गया है।

बिना सहमति के विवाह

यदि लड़का और लड़की दोनों विवाह के लिए सहमति नहीं देते हैं या उनमें से किसी को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो ऐसी शादी को वैध नहीं माना जाता है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत विवाह के लिए दोनों का मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है।

बहुत करीबी रिश्तेदारों से शादी करने पर

भारत में कुछ रिश्तों के बीच कानूनी तौर पर विवाह नहीं हो सकता, जैसे – भाई-बहन, चाचा-भतीजी, सौतेला भाई-बहन आदि। जब ऐसे रक्त संबंधों में विवाह किया जाता है तो उसे निषिद्ध संबंधों की श्रेणी में रखा जाता है। हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार, यदि ऐसे विवाह जाति या समुदाय की परंपरा के अनुसार मान्यता प्राप्त नहीं हैं, तो उन्हें विवाह प्रमाण पत्र नहीं मिल सकता।

दूसरे देश में शादी करने पर

यदि कोई भारतीय किसी अन्य देश में विवाह करता है तो उसे उस देश में विवाह का पंजीकरण कराना होगा। यदि विवाह पंजीकृत नहीं है तो विवाह अवैध माना जाएगा। भारत में विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करना कठिन हो सकता है।

अंतरधार्मिक विवाह

यदि विभिन्न धर्मों के लड़के और लड़की विवाह करते हैं, तो उन्हें विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण कराना आवश्यक होता है। यदि पंजीकृत नहीं है तो इसे अवैध माना जाता है। भारत में विवाह प्रमाण पत्र केवल पंजीकरण दिखाने के बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

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