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शुभांशु शुक्ला का आईएसएस मिशन विकसित भारत के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम: जितेंद्र सिंह

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नई दिल्ली, 25 जून (आईएएनएस) केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) मिशन विकसित भारत के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

लखनऊ में जन्मे शुक्ला ने फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से फाल्कन 9 रॉकेट पर नए स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर 2:31 बजे ईडीटी (भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे) आईएसएस के लिए उड़ान भरी।

मिशन की सफलता के साथ ही 41 साल बाद भारत को नया अंतरिक्ष यात्री मिलेगा। वह ऑर्बिटिंग लैब तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बन जाएंगे और 1984 में राकेश शर्मा की उड़ान के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे।

आईएएनएस से बात करते हुए सिंह ने शुक्ला की उड़ान का श्रेय सरकार के सुधारों और नीतियों को दिया, जिसमें अंतरिक्ष उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए खोलना शामिल है।

सिंह ने कहा, “मैं कहूंगा कि यह (शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हमारे लिए निर्धारित विकसित भारत के लक्ष्य की ओर एक बहुत बड़ी उड़ान है। यह केवल अंतरिक्ष सुधारों के कारण ही संभव हो पाया, जहां अंतरिक्ष उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया और इसे बहुत व्यापक आकार दिया गया।”

शुक्ला गगनयान मिशन के लिए पीएम मोदी द्वारा चुने गए 12 फाइनलिस्ट में से एक थे। इसके बाद उन्हें एक्सिओम स्पेस के मिशन-4 में भाग लेने वाले चार लोगों में से चुना गया।

इन-स्पेस के चेयरमैन पवन कुमार गोयनका ने आईएएनएस को बताया कि शुक्ला की आईएसएस की यात्रा से भारत को अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान में महत्वपूर्ण रूप से मदद करेगी।

गोयनका ने कहा, “सरकार ने फैसला किया कि भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक्सिओम-4 मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों में से एक को उड़ाना बहुत उपयोगी होगा। इस कारण एक्सिओम-4 मिशन के लिए गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों में से एक आईएएफ ग्रुप कैप्टन शुक्ला का चयन किया गया।”

उन्होंने कहा, “शुक्ला का मिशन इसरो को मानव अंतरिक्ष उड़ानों के बारे में और अधिक जानने में सक्षम बनाएगा और अंतरिक्ष यात्रा के उनके वास्तविक जीवन के अनुभव बहुत उपयोगी हो सकते हैं।”

वैज्ञानिक पी.के. घोष ने इसे भारत के लिए बहुत गर्व का क्षण बताया। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि शुक्ला के “स्पेसवॉक” करने की भी संभावना है और उनके 14-दिवसीय मिशन को अधिकतम 21 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

गुजरात सरकार के साइंस और टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में सलाहकार डॉ.नरोत्तम साहू ने आईएएनएस से कहा कि आज भारत के लिए बड़ा दिन है। यह वहां पर जाकर जरूरी परीक्षण करेंगे और इससे भारतीय निर्माताओं और छात्रों को भी और जानने में मदद मिलेगी।

शुक्ला अमेरिका की कमांडर पैगी व्हिटसन के साथ मिशन के पायलट के रूप में काम कर रहे हैं।

शुक्ला के साथ अन्य चालक दल के सदस्यों में पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू शामिल हैं, दोनों मिशन विशेषज्ञ के रूप में काम कर रहे हैं।

शुक्ला के 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4.30 बजे तक ऑर्बिटिंग लैब में पहुंचने की उम्मीद है।

–आईएएनएस

एबीएस/

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