उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित जिला कारागार अब इतिहास के एक नए मोड़ की ओर बढ़ रहा है। यह जेल कभी रोहिल्ला राजाओं के राजमहल और किले का हिस्सा हुआ करता था, जो आज के सहारनपुर की पहचान था। करीब 200 साल पुराना यह किला रोहिल्ला वंश की सत्ता का केंद्र भी था। अब भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जेल प्रशासन को भवन खाली करने का नोटिस भी जारी कर दिया है।
रोहिल्ला वंश का ऐतिहासिक किला
सहारनपुर की जिला कारागार की इमारत आज जहां कैदियों की सलाखों से घिरी हुई है, वहीं कभी यह किला रोहिल्ला वंश के शासकों का महल हुआ करता था। रोहिल्ला राजाओं ने इस किले से अपनी शासन व्यवस्था को चलाया था और यह किला उनकी शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक था। किले के भीतर कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल थे, जो आज भी इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
संरक्षित धरोहर के रूप में प्रस्ताव
भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस किले को संरक्षित धरोहर के रूप में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि इसके ऐतिहासिक महत्व को भविष्य पीढ़ियों तक सुरक्षित रखा जा सके। विभाग ने हाल ही में जेल प्रशासन को नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें इस भवन को खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। इस कदम से न केवल सहारनपुर जिले का ऐतिहासिक धरोहर संरक्षित होगा, बल्कि इससे पर्यटकों के लिए भी एक नया आकर्षण स्थल बन सकता है।
भविष्य में क्या होगा?
अब जब जेल को अन्य स्थान पर शिफ्ट किया जाएगा, तो इस किले का कायाकल्प कर इसे एक पर्यटन स्थल, संग्रहालय या ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित किया जाएगा। भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस किले को संरक्षित करने के बाद, यहां ऐतिहासिक प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा सकता है, जिससे स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यह स्थल ऐतिहासिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण बन जाएगा।