जन्माष्टमी का पावन पर्व हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में इसी दिन हुआ था, जब अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र होता है। भगवान का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी का उत्सव भी मध्य रात्रि में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
जन्माष्टमी 2025 की तारीख और समय
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तारीख: 15 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
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अष्टमी तिथि आरंभ: 15 अगस्त रात 11:49 बजे
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अष्टमी तिथि समाप्ति: 16 अगस्त रात 9:34 बजे
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शुभ मुहूर्त (निशिता काल): 15 अगस्त, रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक
इस समय लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।
व्रत का पारण समय
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जन्माष्टमी व्रत का पारण 16 अगस्त 2025 को सुबह 5:51 बजे के बाद किया जा सकता है।
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कई स्थानों पर पारण जन्माष्टमी उत्सव के बाद ही किया जाता है, जो 16 अगस्त को 12:47 बजे के बाद संभव है।
इस वर्ष जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का अभाव
2025 में जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र नहीं होगा।
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15 अगस्त सुबह 7:36 बजे तक अश्विनी नक्षत्र रहेगा।
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इसके बाद भरणी नक्षत्र होगा, जो 16 अगस्त सुबह 6:06 बजे तक रहेगा।
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रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त सुबह 4:38 बजे से प्रारंभ होगा, लेकिन तब नवमी तिथि होगी।
इसलिए इस वर्ष जन्माष्टमी भरणी नक्षत्र में पड़ रही है।
जन्माष्टमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
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जन्माष्टमी का व्रत और पूजा संतान प्राप्ति के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है।
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इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने से दुख-दर्द दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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भक्तगण इस दिन उपवास रखते हैं और मध्यरात्रि को लड्डू गोपाल का भव्य जन्मोत्सव मनाते हैं।
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जन्माष्टमी पर दही हांडी जैसे उत्सव भी धूमधाम से आयोजित होते हैं, खासकर 16 अगस्त को।