हॉलीवुड न्यूज़ डेस्क – क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे लंबी फिल्म कौन सी है और वह कितनी लंबी है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इस बारे में बताते हैं। सिनेमा एक ऐसी दुनिया है जो कई लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कई लोग सिनेमा के जरिए समाज, संस्कृति और दुनिया के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं। सिनेमा प्रेमी घंटों बैठकर अपनी पसंदीदा फिल्म देख सकते हैं, चाहे वह फिल्म कितनी भी लंबी क्यों न हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी फिल्म भी है जो 3 दिन और 15 घंटे लंबी है? आइए जानते हैं कौन सी है यह फिल्म और इसकी कहानी क्या है।
फिल्म का नाम क्या है?
फिल्म “द क्योर फॉर इंसोम्निया” को दुनिया की सबसे लंबी फिल्म के तौर पर जाना जाता है। इस फिल्म की लंबाई 5220 मिनट यानी करीब 87 घंटे है, जो एक आम फिल्म की लंबाई से कई गुना ज्यादा है। यह फिल्म 1987 में रिलीज हुई थी और इसका निर्देशन जॉन हेनरी टिमिस ने किया था। फिल्म की सबसे अनोखी बात यह है कि इसमें कोई कहानी या प्लॉट नहीं है और इसमें एक कलाकार एलडी ग्रोबन को अपनी 4080 पन्नों की कविताएं पढ़ते हुए दिखाया गया है। यह फिल्म अनिद्रा से पीड़ित लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी, इसलिए इसका नाम “द क्योर फॉर इनसोम्निया” रखा गया। फिल्म में बीच-बीच में अश्लील सामग्री भी है।
फिल्म का उद्देश्य
यह फिल्म 31 जनवरी 1987 को रिलीज हुई थी और 3 फरवरी 1987 को खत्म हुई थी, यानी यह लगातार 15 दिनों तक 87 घंटे चली थी। इस फिल्म का शो बिना किसी ब्रेक के चलाया गया था और इसने सिनेमा की दुनिया में एक नया रिकॉर्ड बनाया था। यह फिल्म शिकागो के स्कूल ऑफ द आर्ट इंस्टीट्यूट में पहली बार दिखाई गई थी और यहां दर्शकों को बिल्कुल अलग अनुभव मिला था। फिल्म में कोई सामान्य कहानी नहीं थी, बल्कि इसमें कविताएं पढ़ने का एक अलग तरीका था। यह उन लोगों के लिए मददगार थी जिन्हें नींद नहीं आती थी।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ नाम
फिल्म “द क्योर फॉर इनसोम्निया” का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है क्योंकि इसे अब तक की सबसे लंबी फिल्म माना जाता है। इसकी खासियत ने इसे एक अलग पहचान दिलाई और यह सिनेमा के इतिहास की एक अनूठी फिल्म बन गई। अपनी लंबाई के अलावा यह फिल्म इस बात के लिए भी मशहूर है कि इसमें सिनेमा के ज़रिए नई कला और प्रयोग दिखाए गए, जो लोगों को हैरान कर सकते हैं। यह फिल्म यह संदेश भी देती है कि सिनेमा सिर्फ़ मनोरंजन नहीं है, बल्कि एक कला भी हो सकती है, जो लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकती है।