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सिराज पर ध्यान देना जरूरी नहीं तो…, आरपी सिंह ने इंग्लैंड टेस्ट सीरीज जीतने के बाद BCCI को दी चेतावनी, जानें क्या कहा

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क्रिकेट न्यूज डेस्क।। इंग्लैंड में पाँच मैचों की सीरीज़ में थकान के बावजूद अपनी गेंदबाज़ी से प्रभावित करने वाले मोहम्मद सिराज के ‘वर्कलोड’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ आरपी सिंह ने कहा कि अगर यह तेज़ गेंदबाज़ लगातार अच्छा खेलता है, तो चोट लगने का ख़तरा बना रहेगा। सिराज ने इंग्लैंड में हुई सीरीज़ में 185.3 ओवर में 23 विकेट लिए थे। वह भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे।

आरपी सिंह ने भाषा को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, “भविष्य में सिराज को चोटिल होने से बचाने के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट ज़रूरी होगा। अगर तेज़ गेंदबाज़ कम समय में ज़्यादा मैच खेलते हैं, तो चोट लगने का ख़तरा बना रहता है। सिराज के वर्कलोड को भी उसी तरह मैनेज करना होगा जैसे हमने बुमराह के साथ किया है।” उन्होंने कहा, “बुमराह ने विश्व कप (वनडे और टी20) में शानदार गेंदबाज़ी की। सिराज भी उसी श्रेणी के गेंदबाज़ हैं। उन्हें चोटिल होने से बचाने के लिए, देर-सवेर उनके वर्कलोड पर गंभीरता से विचार करना होगा।”

भारत के लिए 14 टेस्ट सहित कुल 82 मैच खेल चुके आरपी सिंह ने इंग्लैंड दौरे पर साहस और ज़िम्मेदारी से गेंदबाज़ी करने के लिए सिराज की तारीफ़ की। ‘जियो हॉटस्टार’ से बतौर क्रिकेट विशेषज्ञ जुड़े आरपी सिंह ने कहा, “सिराज इकलौते ऐसे गेंदबाज़ हैं जिन्होंने पाँचों टेस्ट मैच खेले हैं और इन सभी मैचों में पूरे जोश और ताकत के साथ गेंदबाज़ी की है।” उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने बल्लेबाज़ को जो आखिरी गेंद फेंकी, वह इस सीरीज़ की उनकी चौथी या पाँचवीं सबसे तेज़ गेंद थी।”

सिराज ने इंग्लैंड के गस एटकिंसन को यॉर्कर फेंककर भारत को पाँचवें टेस्ट में जीत दिलाई। इस गेंद की गति 143 किलोमीटर प्रति घंटा थी। यह इस सीरीज़ की उनकी पाँचवीं सबसे तेज़ गेंद थी। आरपी सिंह ने कहा, “इससे पता चलता है कि उनकी टीम की ओर से प्रयास में कभी कोई कमी नहीं रही। उन्होंने सही लाइन-लेंथ के साथ गेंदबाज़ी करने की कोशिश की और टीम के लिए उम्मीद से ज़्यादा योगदान दिया। इस दौरान उनकी फिटनेस और लय बेहतरीन रही।”

सिराज ने बुमराह का समर्थन किया

सिराज अब तक बुमराह की छत्रछाया में गेंदबाज़ी करते रहे हैं, लेकिन इस सीरीज़ के बाद उन्होंने अपनी अलग ही विरासत गढ़ ली है। आरपी सिंह ने कहा कि बुमराह की सफलता में सिराज का भी योगदान है। आरपी सिंह ने कहा, “जैसे बल्लेबाजी में साझेदारियाँ होती हैं, वैसे ही गेंदबाज भी जोड़ियों में गेंदबाजी करना पसंद करते हैं। बुमराह अधिक विकेट लेते हैं और अपने अलग एक्शन की वजह से बल्लेबाजों को अधिक परेशान करने की क्षमता रखते हैं।” उन्होंने कहा, “बुमराह की मौजूदगी में सिराज का काम अपनी तरफ से दबाव बनाना होता है और वह यह काम बखूबी करते हैं। यह जोड़ी बेहद खास रही है और इस जोड़ी ने भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।” “जब बुमराह टीम में नहीं होते हैं, तो सिराज हमारे मुख्य तेज गेंदबाज बन जाते हैं।”

जब बुमराह से इंग्लैंड दौरे पर केवल तीन मैच खेलने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “यह पहले से ही तय था कि वह इस दौरे पर तीन मैच खेलेंगे। बुमराह की अच्छी बात यह है कि जब वह टीम का हिस्सा होते हैं, तो आपको विकेट दिलाते हैं। कप्तान हमेशा उनसे विकेट की उम्मीद करते हैं। ऐसे में वह अक्सर जिस मैच का हिस्सा होते हैं, उसमें दूसरे गेंदबाजों से बेहतर गेंदबाजी करते हैं।” कुलदीप और अर्शदीप को नहीं मिला मौका कुलदीप यादव और अर्शदीप को इंग्लैंड दौरे पर एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। आरपी सिंह ने कहा कि दो-तीन टेस्ट मैच ऐसे थे जहाँ कुलदीप को मौका मिल सकता था, लेकिन टीम प्रबंधन ने शायद पहले ही तय कर लिया था कि उन्हें इस सीरीज़ में मज़बूत बल्लेबाज़ी क्रम के साथ उतरना होगा। उन्होंने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि हर खिलाड़ी प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बनना चाहता है। भारत ने इस सीरीज़ के पहले मैच में ही तय कर लिया था कि बल्लेबाज़ी को मज़बूत रखना है। बल्लेबाज़ी क्रम को मज़बूत करने के लिए टीम ने ऑलराउंडरों को प्राथमिकता दी। यही वजह है कि कुलदीप यादव इस दौरे पर नहीं खेल पाए।” उन्होंने कहा, “अगर टीम की योजना गेंदबाज़ी को मज़बूत करने की होती, तो कुलदीप खेल सकते थे। वाशिंगटन सुंदर ने टीम में स्पिनरों की कमी कुछ हद तक पूरी की। लेकिन मुझे लगता है कि दो-तीन टेस्ट मैचों में ऐसी पिचें थीं जहाँ कुलदीप काफ़ी कारगर साबित होते। क्रिकेट में ऐसा होता रहता है, अगर मुझे आज मौका नहीं मिला, तो भविष्य में ज़रूर मिलेगा।”

शुभमन गिल को सीरीज़ जीत का श्रेय दिया जाना चाहिए

आरपी सिंह ने कहा कि इंग्लैंड में सीरीज़ शुरू होने से पहले किसी को नहीं पता था कि नतीजा 2-2 से बराबर होगा। इस नतीजे का श्रेय कप्तान शुभमन गिल को भी दिया जाना चाहिए। गिल ने बल्ले से भी प्रभावित किया और पाँच टेस्ट मैचों में 754 रन बनाए। उन्होंने कहा, “जब सीरीज़ शुरू हुई थी, तो किसी ने नहीं सोचा था कि भारत 2-2 से बराबरी पर लौटेगा। गिल ने कप्तान के रूप में काफ़ी प्रभावित किया। उन्होंने बहुत अच्छे फ़ैसले लिए और उनका अपना प्रदर्शन भी काफ़ी अच्छा रहा। जब एक कप्तान अपने विभाग में अच्छा प्रदर्शन करता है, तो उसका असर उसके फ़ैसलों पर भी पड़ता है।”

चोट लगने पर रिप्लेसमेंट दिए जाने चाहिए

सीरीज़ में ऐसे मौके भी आए जब टीमों को मैच बचाने के लिए चोटिल खिलाड़ियों का सहारा लेना पड़ा। पैर में फ्रैक्चर के बावजूद ऋषभ पंत मैनचेस्टर टेस्ट में बल्लेबाज़ी करेंगे जब क्रिस वोक्स को कंधे की गंभीर चोट के बावजूद रोमांचक पाँचवें टेस्ट में एक हाथ से बल्लेबाज़ी करनी पड़ी, तो आरपी सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति में टीमों को एक रिप्लेसमेंट (वैकल्पिक खिलाड़ी) मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा, “मेरी मानें तो हर मैच के दौरान एक तटस्थ डॉक्टर या फ़िज़ियो होना चाहिए जो खिलाड़ी की चोट की गंभीरता का आकलन करे। वह मैच खेलने के लिए फ़िट है या नहीं। अगर वह नहीं खेल पाता है, तो टीम को उसी खिलाड़ी का रिप्लेसमेंट मिलना चाहिए।”

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