भारत की प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने देश की प्रमुख सीमेंट कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए एक बड़ी कार्रवाई की है। UltraTech Cement, Dalmia Bharat और Shree Digvijay Cement समेत कई कंपनियों के खिलाफ ONGC (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन) के टेंडर में कथित “कैर्टेलाइजेशन” यानी मूल्य-समन्वय (Price Collusion) और साजिश रचने के आरोपों की जांच के तहत उन्हें 9 वर्षों की विस्तृत वित्तीय जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।
जांच की शुरुआत
यह मामला नवंबर 2020 में उस समय सामने आया जब ONGC ने CCI से शिकायत की कि उसके विभिन्न टेंडरों में कुछ सीमेंट कंपनियां एक साथ मिलकर दाम तय कर रही हैं और प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचा रही हैं। इसके बाद आयोग के जांच निदेशालय (DG) ने विस्तृत जांच की और फरवरी 2025 में अपनी रिपोर्ट CCI को सौंपी। DG की रिपोर्ट में यह संदेह व्यक्त किया गया कि इन कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया के दौरान आपस में समन्वय बनाकर बोली लगाई, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बाधित हुई और ONGC को आर्थिक नुकसान हुआ।
कंपनियों से मांगे गए दस्तावेज
CCI ने UltraTech Cement, Dalmia Bharat, India Cements और Shree Digvijay Cement को निर्देश दिया है कि वे वित्त वर्ष 2010–11 से 2018–19 तक की अपनी बैलेंस शीट, आय-व्यय विवरण, जीएसटी रिटर्न और अन्य वित्तीय दस्तावेज पेश करें। UltraTech को इसके साथ-साथ India Cements के अधिग्रहण के बाद के दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे, क्योंकि दिसंबर 2024 में UltraTech ने India Cements में 32.72% हिस्सेदारी लेकर नियंत्रण प्राप्त किया था। इसके अलावा, कंपनियों के कुछ शीर्ष अधिकारियों की व्यक्तिगत आयकर विवरणियों की भी मांग की गई है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि मांगी गई जानकारी समय पर या पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं कराई गई, तो Competition Act, 2002 की धारा 45 के तहत भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
DG रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य
DG की रिपोर्ट में Umakant Agarwal नामक एक मध्यस्थ का भी उल्लेख किया गया है, जो इन कंपनियों के बीच समन्वय स्थापित करने में अहम भूमिका निभा रहा था। यह संकेत देता है कि कंपनियों ने जानबूझकर टेंडरों में प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने के लिए आपस में गुप्त रणनीतियां बनाईं।
आगे की प्रक्रिया
CCI ने सभी कंपनियों को 8 सप्ताह के भीतर सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। दस्तावेजों के विश्लेषण के बाद यदि यह पुष्टि होती है कि टेंडरों में अवैध मूल्य-समन्वय किया गया था, तो CCI कंपनियों पर भारी जुर्माना लगा सकता है या अन्य कानूनी कार्रवाई कर सकता है।