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सुनामी आने से पहले बजेगा AI अलर्ट! जानिए कैसे काम करती है ‘GREAT’ नाम की ये क्रांतिकारी तकनीक ?

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जब समुद्र में विनाश की लहर उठती है, तो उसकी तबाही सिर्फ़ तटीय इलाकों तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि इससे जान-माल का भी भारी नुकसान होता है, लेकिन अब एक नई एआई तकनीक सामने आई है जो इस खतरे से पहले अलर्ट मिलने की संभावना को मज़बूत करती है। कैलिफ़ोर्निया और कार्डिफ़ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर ‘ग्रेट’ नामक एक उन्नत अलर्ट सिस्टम विकसित किया है, जो सुनामी से पहले सटीक चेतावनी देने में सक्षम हो सकता है।

सुनामी अलर्ट में आएगी क्रांति

हाल ही में रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे भारी तबाही मची। इसके बाद रूस, जापान और अमेरिका में सुनामी का हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पारंपरिक चेतावनी प्रणालियाँ अक्सर अलर्ट देने में देरी करती हैं या गलत साबित होती हैं। ऐसे में ‘ग्रेट’ जैसी तकनीक उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभर रही है।

‘ग्रेट’ तकनीक कैसे काम करती है?

ग्रेट यानी भूविज्ञान आधारित रैपिड अर्थक्वेक एंड सुनामी अलर्ट सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एडवांस्ड एकॉस्टिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। समुद्र के नीचे भूकंप आने पर, यह AI मॉडल उसकी तीव्रता और दिशा के आधार पर तुरंत अलर्ट जारी करता है। इसमें समुद्री हाइड्रोफोन, DART-ब्वाय और टाइड गेज जैसे उपकरणों से डेटा लिया जाता है, जिसे अलर्ट ध्वनि तरंगों की गति से भी तेज़ भेजा जा सकता है।

सटीकता का दावा, गति में अव्वल

रिपोर्ट के अनुसार, इस सिस्टम ने अब तक 200 भूकंपों का विश्लेषण किया है और शोधकर्ताओं की योजना भविष्य में इसमें हज़ारों भूकंपों का डेटा जोड़ने की है। इससे सिस्टम की भविष्यवाणी और सटीक हो जाएगी। इसका अलर्ट रीयल-टाइम में जनरेट होता है, जो मौजूदा अलर्ट सिस्टम से कहीं ज़्यादा तेज़ है।

न केवल समुद्री भूकंपों, बल्कि भूस्खलन और ज्वालामुखियों पर भी नज़र रखेगा

GREAT सिस्टम न केवल समुद्र के नीचे भूकंपों से उत्पन्न सुनामी का संकेत देगा, बल्कि भूस्खलन और ज्वालामुखी विस्फोटों से उत्पन्न सुनामी की संभावना का भी पता लगा सकता है। यानी यह तकनीक प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकती है।

भारत में इसकी आवश्यकता क्यों है?

हालाँकि भारत में सुनामी की घटनाएँ अपेक्षाकृत कम हैं, फिर भी बिहार जैसे राज्य हर साल बाढ़ और जल प्रलय का सामना करते हैं। अगर देश में ऐसी एआई प्रणालियाँ अपनाई जाएँ, तो समय पर चेतावनी देकर जान-माल के बड़े नुकसान को रोका जा सकता है।

एआई का अगला कदम

GREAT जैसी तकनीकें यह साबित कर रही हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिर्फ़ चैटबॉट या ऑटोमेशन के लिए नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल हमारी जान बचाने के लिए भी किया जा सकता है। अगर भविष्य में इस प्रणाली को बड़े पैमाने पर लागू किया जाता है, तो सुनामी जैसी आपदाओं से पहले सटीक चेतावनी मिलने की उम्मीद और मज़बूत हो जाएगी।

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