सोमवार की सुबह भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत भारी झटके के साथ हुई। प्री-ओपनिंग ट्रेडिंग में सेंसेक्स करीब 704 अंक यानी 0.85% गिरकर 81,704 के स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी 172 अंक यानी 0.69% की गिरावट के साथ 24,939 पर ट्रेड करता दिखा। हालांकि, शुरुआती कारोबार में बाजार थोड़ा संभलने की कोशिश करता नजर आया। सुबह 9:18 बजे सेंसेक्स 582.45 अंक (0.71%) टूटकर 81,825.73 पर और निफ्टी 176.60 अंक (0.70%) गिरकर 24,935.80 के स्तर पर ट्रेड कर रहा था।
बाजार में गिरावट के पीछे क्या वजह?
इस गिरावट का मुख्य कारण है मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव। हाल ही में अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया है, जिसमें इजराइल ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। इस सैन्य कार्रवाई ने क्षेत्रीय तनाव को और गहरा दिया है। इस वजह से न केवल भारतीय शेयर बाजार, बल्कि पूरे एशिया के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है।
तेल की कीमतों में उछाल और एशियाई बाजारों की हालत
मिडिल ईस्ट तनाव के बीच तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। कच्चा तेल 2.7% की तेजी के साथ 79.12 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है, जबकि अमेरिका का क्रूड तेल 2.8% बढ़कर 75.98 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। यह इस साल जनवरी के बाद का सबसे उच्च स्तर है।
तेल की इस बढ़ती कीमत से न केवल भारत बल्कि विश्व की कई अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि ऊर्जा की कीमतों में तेजी सीधे तौर पर महंगाई और आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करती है। एशियाई बाजारों की बात करें तो जापान का निक्केई इंडेक्स 0.6%, दक्षिण कोरिया का बाजार 1.4%, और ऑस्ट्रेलिया का बाजार 0.7% गिर गया। MSCI का एशिया-पैसिफिक इंडेक्स भी 0.5% की गिरावट के साथ बंद हुआ, जो इस क्षेत्र की आर्थिक अनिश्चितता को दर्शाता है।
बीते हफ्ते बाजार में दिखी थी मजबूती
पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार ने मिडिल ईस्ट तनाव और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को नजरअंदाज करते हुए अच्छा प्रदर्शन किया था। शुक्रवार को सेंसेक्स 1,046 अंक यानी 1.29% की तेजी के साथ 82,408 पर बंद हुआ था, वहीं निफ्टी 319 अंक (1.29%) की बढ़त के साथ 25,112 के स्तर पर पहुंचा था। पूरे हफ्ते सेंसेक्स में कुल मिलाकर 1,289 अंक यानी 1.58% की तेजी और निफ्टी में 393.8 अंक यानी 1.59% की मजबूती देखी गई थी।
अब क्या होगा आगे?
हालांकि बीते हफ्ते बाजारों ने बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन अब मिडिल ईस्ट में तनाव के कारण बाजारों में दबाव साफ नजर आ रहा है। निवेशकों की चिंता यह है कि अगर ईरान की ओर से अमेरिकी हमले का जवाब दिया गया, तो क्षेत्रीय और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां और भी खराब हो सकती हैं। तेल की बढ़ती कीमतें भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रही हैं क्योंकि भारत का अधिकांश तेल आयात मिडिल ईस्ट से होता है। इससे महंगाई बढ़ने और आर्थिक विकास में रुकावट की आशंका बनी हुई है।
निवेशकों के लिए सावधान रहने की जरूरत
विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय तनाव को देखते हुए निवेशकों को सावधानी से काम लेना चाहिए। बाज़ार में उतार-चढ़ाव बढ़ सकते हैं और रिटेल व कॉरपोरेट निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो का पुनर्मूल्यांकन करना लाभकारी हो सकता है। साथ ही, केंद्र सरकार और नियामक संस्थानों की ओर से तेल की आपूर्ति और कीमतों को लेकर लिए गए कदमों पर भी नजर रखनी होगी, ताकि संभावित आर्थिक झटकों को टाला जा सके।