ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट के बढ़ते मामलों ने समाज में चिंता का विषय बना दिया है। इन प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ते एडल्ट और यौन संबंधित सामग्री ने एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर दी है, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों के लिए। अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और इस पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत को लेकर केंद्र सरकार समेत प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी किया गया है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट को लेकर क्या हुआ है सुनवाई में?
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में यह दावा किया गया है कि नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो, उल्लू, एक्स (Twitter), फेसबुक, इंस्टाग्राम, और यूट्यूब जैसे ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री की भरमार हो गई है। शिकायतकर्ता का कहना है कि इस तरह के कंटेंट से समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, खासकर युवाओं और बच्चों पर। याचिका में यह भी कहा गया है कि बिना किसी प्रकार की सेंसरशिप या कठोर नियमों के इन प्लेटफॉर्म्स पर आपत्तिजनक कंटेंट का प्रसारण बढ़ता जा रहा है, जिससे समाज की मानसिकता पर बुरा असर पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और केंद्र सरकार से इस पर त्वरित कदम उठाने को कहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि इस संबंध में क्या कार्रवाई की जा रही है और क्या मौजूदा नियम पर्याप्त हैं? इसके साथ ही अदालत ने इस मामले पर केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया है, ताकि वह इस मुद्दे पर अपने जवाब दाखिल कर सके।
मौजूदा नियम और प्रस्तावित बदलाव
केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट के लिए कुछ नियम पहले से लागू हैं, जैसे आईटी एक्ट और 2021 में जारी किए गए दिशानिर्देश। हालांकि, इन नियमों को सख्त और प्रभावी बनाने की जरूरत है, ताकि अश्लीलता और आपत्तिजनक कंटेंट पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सके।
कोर्ट ने यह माना कि वर्तमान में मौजूद नियम पर्याप्त नहीं हैं और इस पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इस पर विचार करते हुए, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जल्द ही ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप लागू हो सकती है। वर्तमान में जो छूट इन प्लेटफॉर्म्स को मिल रही थी, वह अब खत्म हो सकती है, ताकि समाज में आपत्तिजनक और अश्लील सामग्री का प्रसारण रोका जा सके।
अश्लीलता पर नियंत्रण की आवश्यकता
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, उनके कंटेंट पर नियंत्रण बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है। खासकर बच्चों और किशोरों के लिए यह सामग्री खतरे का कारण बन सकती है। सेंसरशिप और सख्त कानूनों की आवश्यकता इस बात को और भी स्पष्ट करती है कि समाज में सुधार लाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि कंटेंट निर्माताओं और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को जिम्मेदार ठहराया जाए, ताकि वे बच्चों और युवाओं के लिए सुरक्षित और उपयुक्त सामग्री पेश करें।
निष्कर्ष
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री की बढ़ती संख्या समाज के लिए एक गंभीर चिंता का कारण बन गई है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और केंद्र सरकार से मिली चेतावनी इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकती है। यह समय की जरूरत है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सख्त कानून और सेंसरशिप लागू किया जाए, ताकि इस पर नियंत्रण पाया जा सके और समाज पर इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।