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स्कंदपुराण की भविष्यवाणी केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम हो जाएंगे गायब! ज्योतिषाचार्य से जानिए इसमें कितनी है सच्चाई

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हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा का विशेष महत्व है। यह यात्रा मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति का माध्यम मानी जाती है। हर साल लाखों श्रद्धालु यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए उत्तराखंड की कठिन हिमालयी यात्रा पर निकलते हैं। 2025 में यह यात्रा 30 अप्रैल से शुरू हुई, और अब तक हजारों लोग ईश्वर के दर्शन कर चुके हैं। लेकिन हाल ही में स्कंद पुराण से जुड़ी एक प्राचीन भविष्यवाणी ने श्रद्धालुओं को चिंतन में डाल दिया है – क्या भविष्य में ये पावन तीर्थस्थल लुप्त हो जाएंगे?

स्कंद पुराण की रहस्यमयी भविष्यवाणी

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के अनुसार, स्कंद पुराण में यह उल्लेख मिलता है कि कलियुग के अंत में केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे तीर्थस्थल अदृश्य हो जाएंगे। यानी जब धर्म का ह्रास अपने चरम पर होगा, तब ये दिव्य स्थल अपनी शक्ति को समेट लेंगे और सामान्य लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएंगे।

श्लोक –
“कलियुगे क्षये प्राप्ते बदरी नारायणं हरिः।
अपसृत्य हिमवतः कुन्तीकण्ठे स्थिता शिवाः॥”

इसका अर्थ है कि कलियुग के अंतिम काल में भगवान नारायण हिमालय से प्रस्थान करेंगे और भगवान शिव भी केदारभूमि को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर वास करेंगे।

आस्था से फैशन की ओर बदलती सोच

पंडित अरविंद मिश्र का कहना है कि आज तीर्थयात्रा केवल एक टूरिज्म एक्सपीरियंस बनकर रह गई है। जहां पहले लोग श्रद्धा से तीर्थ के लिए निकलते थे, अब वहां लोग ‘घूमने’ और सोशल मीडिया के लिए रील बनाने जाते हैं। देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा की जगह अब दिखावा और दिखावटी धर्म आ गया है। यही कारण है कि पवित्र तीर्थस्थलों का महत्व कम होता जा रहा है और प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ रहा है। यह सब कलियुग की उस स्थिति की ओर संकेत करता है जब धर्म और भक्ति का पतन होगा।

भविष्य में कहां होंगे भगवान?

स्कंद पुराण के अनुसार, जब बद्रीनाथ और केदारनाथ अदृश्य हो जाएंगे, तब “भविष्य बद्री” और “भविष्य केदार” तीर्थस्थलों का उदय होगा। वहां केवल वे भक्त पहुंच पाएंगे, जिनके भीतर सच्ची आस्था और तप होगा। जोशीमठ में स्थित भगवान नरसिंह देव की प्रतिमा का हाथ धीरे-धीरे पतला हो रहा है। मान्यता है कि जब यह हाथ टूट जाएगा, तब बद्रीनाथ का रास्ता बंद हो जाएगा। यह घटना बद्री धाम के अस्तित्व के अंत का प्रतीक मानी जाती है।

2013 आपदा और हाल की घटनाएं: क्या ये चेतावनी हैं?

2013 में केदारनाथ में आई भयंकर बाढ़ को अनेक धर्माचार्य इस भविष्यवाणी की शुरुआत मानते हैं। हाल ही में 15 जून 2025 को रुद्रप्रयाग में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में श्रद्धालुओं की मौत को भी लोग आध्यात्मिक चेतावनी मान रहे हैं। प्राकृतिक आपदाएं, ग्लोबल वार्मिंग और तीर्थों पर अनियंत्रित जनसैलाब यह दिखा रहा है कि हम तीर्थ स्थलों का सम्मान नहीं कर रहे हैं।

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