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हर साल बदलते हैं नौकरी तो हो जाए सावधान! वरना गिर सकती है Income Tax की गाज

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आज के समय में करियर ग्रोथ, बेहतर अवसर और ज्यादा सैलरी की तलाश में लोग हर साल नौकरी बदल रहे हैं। यह अब आम बात हो गई है। खासकर कॉरपोरेट सेक्टर में, एक ही फाइनेंशियल ईयर (आर्थिक वर्ष) में दो या उससे ज्यादा नौकरियां करना सामान्य हो गया है। हालांकि, यह प्रोफेशनल लाइफ के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय यह कई बार सिरदर्द भी बन जाता है।

अगर आप भी एक ही वित्तीय वर्ष में नौकरी बदल चुके हैं, तो ITR फाइल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। थोड़ी सी लापरवाही से आपको टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है या आपको जुर्माना देना पड़ सकता है। इसलिए नीचे दिए गए जरूरी बिंदुओं को समझना और उन पर अमल करना फायदेमंद होगा।

1. हर कंपनी से फॉर्म 16 जरूर लें

अगर आपने साल भर में दो या ज्यादा कंपनियों में काम किया है, तो आपको हर एक एम्प्लॉयर से अलग-अलग फॉर्म 16 लेना चाहिए।
फॉर्म 16 एक जरूरी डॉक्युमेंट होता है, जिसमें आपकी सैलरी, टैक्स डिडक्शन (TDS), हाउस रेंट अलाउंस, प्रोविडेंट फंड, और अन्य टैक्सेबल/नॉन-टैक्सेबल इनकम की जानकारी होती है। यह ITR फाइल करते समय इनकम की सही जानकारी देने में मदद करता है। कई लोग नई कंपनी से फॉर्म 16 लेकर पुरानी कंपनी को भूल जाते हैं, जो कि बाद में परेशानी का कारण बन सकता है।

2. पुरानी और नई नौकरी की इनकम को सही से जोड़ें

बहुत से लोग नई नौकरी से मिली इनकम को तो ITR में जोड़ते हैं, लेकिन पुरानी नौकरी की सैलरी की जानकारी देना भूल जाते हैं।
आयकर विभाग के पास फॉर्म 26AS और AIS जैसी सुविधाएं हैं, जिनसे उन्हें आपकी पूरी आय और TDS की जानकारी मिल जाती है। यदि आपने पूरी सैलरी रिपोर्ट नहीं की है, तो आपकी इनकम में मिसमैच हो सकता है और विभाग की तरफ से नोटिस आ सकता है।
इसलिए जरूरी है कि आप पुरानी और नई दोनों नौकरियों से मिली सैलरी को जोड़कर सही इनकम डिक्लेयर करें।

3. एक ही डिडक्शन को दो बार क्लेम करने से बचें

नौकरी बदलते समय लोग अकसर एक बड़ी गलती कर बैठते हैं—वो है एक ही डिडक्शन जैसे कि PPF, EPF, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम या मेडिकल इंश्योरेंस को दो बार क्लेम करना।
हो सकता है कि आपने पुरानी कंपनी में पहले ही कुछ टैक्स डिडक्शन क्लेम कर लिए हों और नई कंपनी में वही डिडक्शन दोबारा दिखा दिया हो। इससे ITR फाइलिंग में दिक्कत आ सकती है और यह टैक्स चोरी माना जा सकता है।
आपको चाहिए कि साल भर के सभी डिडक्शन को एक बार समेकित रूप से जोड़ें और उसी आधार पर ITR में क्लेम करें।

4. फॉर्म 26AS और AIS से टैक्स क्रेडिट जरूर मिलाएं

फॉर्म 26AS में आपकी सैलरी से कटे हुए TDS की जानकारी होती है, जिसे आपके PAN नंबर से लिंक किया जाता है। इसी तरह AIS (Annual Information Statement) में भी आपकी इनकम और टैक्स की डिटेल्स होती हैं।
ITR भरते समय यह दोनों डॉक्युमेंट चेक करना जरूरी है ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि आपका TDS सही तरीके से जमा हुआ है और आप उसका टैक्स क्रेडिट ले सकें। यदि आपने नौकरी बदलते समय ग्रेच्युटी या लीव एनकैशमेंट जैसी राशि ली है, तो उसका टैक्सेशन नियम समझकर ही ITR में उसकी जानकारी दें।

5. ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट की सही टैक्स जानकारी दें

अगर आपने किसी एक कंपनी में 5 साल या उससे अधिक काम किया है और फिर नौकरी छोड़ी है, तो आपको ग्रेच्युटी मिल सकती है। 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी टैक्स फ्री होती है। इसके अलावा अगर आपने लीव एनकैशमेंट लिया है, तो वह भी एक निश्चित सीमा तक टैक्स फ्री हो सकता है।
इन दोनों रकमों को सही टैक्स कैलकुलेशन के साथ ITR में शामिल करें, ताकि बाद में टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से कोई सवाल न उठे।

निष्कर्ष:

नौकरी बदलना आज की प्रोफेशनल दुनिया में सामान्य हो गया है, लेकिन टैक्स नियमों को नजरअंदाज करना नुकसानदेह हो सकता है। अगर आप ITR फाइल करते समय ऊपर बताए गए सभी पॉइंट्स का ध्यान रखेंगे, तो टैक्स भरना आसान होगा और आपको किसी नोटिस या पेनल्टी की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।

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