आज आधे से ज़्यादा लोग हवाई जहाज़ से सफ़र करते हैं। यह एक आरामदायक और आसान सफ़र है। आप हज़ारों मील घंटों में तय कर सकते हैं। आजकल लोग ट्रेन की बजाय हवाई जहाज़ को ज़्यादा पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपने सफ़र करते समय कानों में एक अजीब सी पॉपिंग या दबाव की आवाज़ सुनी है?
आमतौर पर यह आवाज़ आपको नुकसान नहीं पहुँचाती, लेकिन कुछ लोगों को यह अनुभव असहज लगता है। यह समस्या ख़ास तौर पर हवाई जहाज़ के टेकऑफ़ या लैंडिंग के दौरान होती है। आज का लेख भी इसी विषय पर है। हम आपको कान में दर्द के कारण बताने जा रहे हैं। साथ ही यह भी बताएंगे कि इससे कैसे बचा जाए। तो बिना देर किए आइए विस्तार से जानते हैं –
उड़ान में कानों पर क्या असर पड़ता है?
आपको बता दें कि हमारे कानों में एक नली होती है जिसे यूस्टेशियन ट्यूब कहते हैं। यह कान के मध्य भाग को गले के पिछले हिस्से से जोड़ती है। इसका काम कान में हवा का दबाव बराबर बनाए रखना होता है। इस तरह, जब भी हम हवाई जहाज़ में सफ़र करते हैं, तो हवा का दबाव तेज़ी से बदलता है। कभी-कभी नली तेज़ी से प्रतिक्रिया नहीं दे पाती, जिससे कान के अंदर और बाहर के दबाव में असंतुलन पैदा हो जाता है। यही वजह है कि कानों में एक ‘पॉप’ या अजीब सी आवाज़ सुनाई देती है। इसे हवाई जहाज़ के कान के नाम से जाना जाता है।
हवाई जहाज़ के कान के लक्षण क्या हैं?
- कानों में हल्का दर्द
- कान भारी या बंद महसूस होना
- गूँजती हुई आवाज़ सुनना
- कई मामलों में तेज़ दर्द
- कान के पर्दे का फटना
- सुनना बंद हो जाना
- कान से खून आना
- चक्कर आना
- कानों में सूजन को गनी की गटी की सुनी देना
- सबसे ज़्यादा ख़तरा किन लोगों को है?
- छोटे बच्चे
- सर्दी या फ़्लू होने पर
- साइनस या कान का संक्रमण होने पर
- एलर्जी वाले लोग
- अगर आप उड़ान भरते या उतरते समय सो रहे हैं
कैसे बचें?
- उड़ान के दौरान जम्हाई लेने या च्युइंग गम चबाने से आपको आराम मिल सकता है।
- अपनी उंगलियों से अपनी नाक बंद करें। मुँह बंद रखते हुए नाक से हल्की साँस छोड़ें। इससे दबाव भी संतुलित रहता है।
- उड़ान के दौरान ईयरफ़ोन चालू रखें।